जापान जैसा देश जहां देशप्रेम, सद्भावना और अमनचैन ही उनका डीएनए है, वहां एक पूर्व प्रधानमंत्री की सरेआम हत्या विस्मयकारी है। शिंजो के हत्यारे तेत्सुया यामागामी ने पुलिस को दिये गये अपने बयान में कहा है कि उसका शिंजो की राजनैतिक विचारधारा से कोई विरोध नहीं था, वो केवल उनसे गुस्सा था।
जापानी मीडिया और पुलिस ने हत्यारे के इन दो बयानों के अलावा किसी भी बात का अत्यधिक खुलासा अभी तक नहीं किया है। वो अलग बात है कि हमारे देश का विक्षिप्त मीडिया क्या क्या बता दे। जब तक जापान की ओर से कोई अधिकृत बयान नहीं आता तब तक शिंजो की हत्या के असल काराणों के कयास ही लगाये जा सकते है।
वहां की मीडिया ने पुलिस सूत्रों के हवाले से बताया कि आबे पर हमला करने वाला व्यक्ति काफी समय से इसकी योजना बना रहा था। उसके पास से भारी मात्रा में विस्फोटक सामान भी बरामद किया गया है। 41 वर्षीय हत्यारा तेत्सुया यामागामी जापानी मैरीटाइम सेल्फ डिफेंस फोर्स (MSDF) का 2003 से 2005 तक सैनिक था।
उसने जिन गोलियों से हमला किया, वे खुद से बनाई गई गोलियां थीं। आज जब उन्होंने लिबरल डेमोक्रैटिक पार्टी के उम्मीदवार के समर्थन में नुक्कड सभा में बोलना शुरू किया ही था, तभी अचानक पत्रकार बन कर आये पूर्व सैनिक हत्यारे ने कैमरा शॉटगन से उन पर दो गोलियां दाग कर उनकी हत्या कर दी।
इससे 90 साल पहले जापान में नेवी के 11 अफसरों ने तत्कालीन प्रधानमंत्री इनुकाई सुयोशी की भी इसी तरह हत्या कर दी थी, तब हत्या का मकसद तख्ता पलट था हलांकि वो हो नहीं पाया। आज पुनरावृत्ति हुई है। शिंजोआबे को रक्षा तकनीक और कृषि में जापान को मजबूत बनाने वाले निर्णयों के लिये जाना जाता रहेगा।
असन्तुष्ट, अराजक तथा अविवेकी लोगों के हाथों एक नेता की मृत्यु विश्व के लिए अशांति तथा असुरक्षा का संदेश है। इन हालातों में बाक़ी क्या कहा जा सकता है, बस यही कहूंगा कि अलविदा शिंजो आबे। दुनिया के लोग खासकर जिन देशों में अशांति हैं, वे इन घटनाओं से यह सीख सके कि हिंसा से कुछ हासिल नहीं होता तो वही सही श्रद्धांजलि होगी।