नई दिल्ली में मिलित ओडिशा निशा निवारण अभियान (मोना) द्वारा ईस्ट ऑफ कैलाश के इस्कॉन सभागार में ‘शराब-मुक्त भारत‘ पर आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन में बिहार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बतौर मुख्य अतिथि शिरकत की और शराबमुक्त भारत को अपना पूर्ण समर्थन दिया. बता दें कि बिहार में शराबबंदी को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार राज्य का रोल मॉडल मानते हैं.
कार्यक्रम में भारत के विभिन्न हिस्सों से पहुंचे लोगों को संबोधित करते हुए नीतीश कुमार ने संचालनकर्ताओं को धन्यवाद दिया और साथ ही भारत को शराबमुक्त करने की बात रखी. उपस्थित मान्य अतिथियों ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के प्रयासों को सराहा और कहा को बिहार में पूर्ण शराबबंदी कर मुख्यमंत्री ने असंभव को संभव कर दिखाया है. नीतीश कुमार ने वहां पहुंचे लोगों को आश्वस्त किया कि शराबमुक्त भारत के अभियान को उनका पूर्ण समर्थन रहेगा. उन्होंने बताया कि पूर्ण शराबबंदी से समाज सशक्त, स्वस्थ और संयमी बनता है, जिसका प्रभाव बिहार के विकास में दिखने लगा है. शराबबंदी से महिलाओं में सुरक्षा की भावना जगी है और साथ ही सामाजिक रूप से भी बिहार में काफी परिवर्तन देखने को मिला है.
इसके साथ ही नीतीश कुमार ने कहा,
राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी का कहना था कि शराब व्यक्ति के जीवन और चरित्र को नष्ट कर देती है, इसीलिए न केवल किसी एक राज्य में बल्कि समस्त देश में शराबबंदी लागू कर भारत को नशे से मुक्ति दिलानी होगी. बिहार ने गांधीजी के सपने को पूरा करने की कोशिश की है. मोरारजी देसाई जब प्रधानमंत्री बने थे तो उन्होंने भी शराबबंदी कानून लागू करने की कोशिश की थी, किंतु सफल नहीं हो सके थे. बाद में भी कई राज्यों ने प्रयास किया और आज भी कई राज्यों में लोग मद्य निषेध के पक्ष में हैं. उन्होंने यह भी कहा कि शराब के दुष्परिणामों से पूरी दुनिया चिंतित है. विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट में विस्तृत आंकड़े दिए गए हैं. वर्ष 2016 में शराब से दुनिया में 30 लाख लोगों की मौत हुई है, जो कुल मृत्यु का 5.3 फीसद है. अब समय है कि समाज में जागरूकता लायी जाये और इस शराब के दुष्चक्र से हमारा भारतीय समाज बाहर निकल सके.