कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाये जाने वाले इस पावन पर्व को ‘छठ पर्व’ के नाम से जाना जाता है, इस पूजा का आयोजन समस्त भारत वर्ष में वृहद स्तर पर किया जाता है. अधिकतर उत्तर एवं पूर्वोत्तर भारत के लोग इस पर्व को मनाते हैं, भगवान सूर्य को समर्पित इस पूजा में सूर्य को अर्घ्य देकर उनका सम्मान किया जाता है. पवित्र साधना का महापर्व छठ इस बार 31 अक्टूबर, गुरुवार से हो रहा है. ऐसा माना जाता है कि सूर्य की आराधना करने से विभिन्न प्रकार के रोगों को नाश होता है. परिवार में शुभ शांति बनी रहती है, तथा पारिवारिक सदस्यों को लम्बी आयु की प्राप्ति होती है. चार दिनों तक मनाये जाने वाले इस पर्व के दौरान शरीर और मन को पूरी तरह से साधना पड़ता है. इसका आरंभ "नहाय खाय" के साथ होता है और अंत उगते सूर्य को अर्घ्य देकर करते हैं.
छठ पर्व को लेकर प्रचलित लोक मान्यताओं के अनुसार सतयुग में जब प्रथम देवासुर संग्राम में देवता असुरों से पराजित हो गये थे, तब देव माता अदिति ने तेजस्वी पुत्र की प्राप्ति के लिए देवारण्य के देव सूर्य मंदिर में छठी मैया की उपासना की थी, तब प्रसन्न होकर छठी मैया ने उन्हें सर्वगुण संपन्न तेजस्वी पुत्र होने का वरदान दिया था. छठी मैया के प्रताप से माता अदिति को पुत्र रूप में त्रिदेव रूप आदित्य भगवान की प्राप्ति हुयी, जिन्होंने असुरों पर देवताओं को विजय दिलायी. कहा जाता है कि इसके बाद से छठ पर्व मनाने का चलन शुरू हो गया.
नहाय खाय का महत्त्व:
1. छठ पर्व का पहला दिन नहाय खाय के नाम से जाना जाता है, जिसमें व्रती सम्पूर्ण घर की सफाई कर उसे पवित्र करता है.
2. जिसके बाद व्रती नदी अथवा तालाब में जाकर स्नान करता है और वहां से लाये हुए शुद्ध जल से ही भोजन बनाया जाता है.
3. परम्परागत रूप से बनाये गए भोजन में कद्दू, मूंग-चना दाल, चावल शामिल होते हैं तथा तला हुआ भोजन वर्जित होता है.
4. व्रती एक समय यह भोजन ग्रहण करता है और पूरी शुद्धता व पवित्रता का ध्यान रखते हुए छठ पर्व का यह पहला दिन समाप्त होता है.
जनता दल यूनाइटेड आप सभी देशवासियों को छठ पूजा की हार्दिक मंगल कामनाएं अर्पित करते हुए आपके स्वस्थ एवं प्रगतिशील जीवन की कामना करता है. छठ का यह पावन पर्व आप सभी के जीवन में ढेरों खुशियाँ, हर्षोल्लास एवं समृद्धता लेकर आये.