भारतवासियों के लिए दीवाली, सांस्कृतिक, धार्मिक, परंपराओं, नवजागरण और आध्यात्मिक महत्व का पर्व है. पाप पर पुण्य, असत्य पर सत्य और बुअर्यी पर अच्छाई की विजय का प्रतीक दिवाली प्रतिवर्ष कार्तिक शुक्ल पक्ष की अमावस्या तिथि को मनाया जाता है और इस काली अंधियारी रात को करोड़ों दीयों की रोशनी से अलंकृत कर दिया जाता है.
दिवाली ही वह दिन है, जब 14 वर्ष के वनवास के उपरांत श्री राम, लक्ष्मण और माता जानकी रावण को हराने के बाद अपने राज्य अयोध्या नगरी पहुंचे थे, जिनका स्वागत करने के लिए लोगों ने समस्त अयोध्या नगरी को दुल्हन की भांति सजा दिया था और घी के दीयों की कतारबद्ध श्रृंखला से भगवान राम का स्वागत और पूजन किया था.
भारतीय संस्कृति के अनुसार श्री राम के अयोध्या आने के अतिरिक्त भी बहुत से प्रसंग ऐसे हैं, जो दिवाली मनाने के कारण बनें. जैसे दिवाली से एक दिन पहले भगवान श्री कृष्ण और उनकी पत्नी सत्यभामा ने नरकासुर दानव का वध करके 16 हजार कन्याओं को उसकी कैद से मुक्ति दिलाई थी. जिसके उपलक्ष्य में अगले दिन दीपोत्सव मनाया गया था. इसके साथ ही पांडवों के 12 वर्षीय वनवास और एक वर्षीय अज्ञातवास का भी अंत हुआ था और उनके हस्तिनापुर लौटने की ख़ुशी में नगरवासियों ने दीपक जलाकर उनका स्वागत किया था. सनातनी कैलेण्डर के अनुसार दीपावली से ही मारवाड़ी समुदाय का नववर्ष आरंभ होता है. वहीँ गुजरात में भी विभिन्न स्थानों पर दिवाली से अगले दिन नववर्ष मनाने की परम्परा है.
आप सभी के जीवन में दिवाली का प्रकाश सुख, समृद्धि और नवचेतना का संचार करें और आप सभी प्रगति के मार्ग पर वर्षभर उन्मुख रहे. इन्हीं सुन्दर अभिलाषाओं के साथ आप सभी को समस्त जनता दल परिवार की ओर से धनतेरस, दिवाली, अन्नकूट, भाईदूज और छठ पर्व की मंगल कामनाएं.