जैन ग्रंथों के अनुसार चैत्र शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी को जैन समाज के अंतिम तीर्थंकर भगवान महावीर का जन्म हुआ था, जिस कारण जैन धर्म के लोग इस दिन को उनके जन्मदिवस के रूप में मनाते हैं। भगवान महावीर ने अपनी साधना और तप से नए प्रतिमान स्थापित किए और जैन समुदाय के अनुयायियों के लिए उन्होंने पाँच सिद्धांत बताए, जिनका अनुपालन सभी के जीवन के लिए सर्वश्रेष्ठ है। जैन धर्म के 24वें एवं अंतिम तीर्थंकर भगवान महावीर का जन्म 599 ईसा पूर्व में बिहार के वैशाली में हुआ था। बचपन में उनका नाम वर्धमान था और वह बचपन से ही सत्य, ज्ञान और तप को साधने वाले परम ज्ञानी थे।
अहिंसा, सत्य, अस्तेय, ब्रह्मचर्य और अपरिग्रह जैसे पांच जीवन प्रेरक सिद्धांत भगवान महावीर ने सभी जैन धर्म के सभी अनुयायियों को दिए, जिसंके द्वारा व्यक्ति को आंतरिक शांति की प्राप्ति होती है और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। आप सभी को ‘महावीर जयंती’ की शुभकामनायें। भगवान महावीर ने अहिंसा और करुणा के संदेश के माध्यम से सौहार्द और मानवता के मार्ग को दर्शाया है। आइए, इस पावन पर्व पर हम स्वयं को शांतिपूर्ण, सद्भावपूर्ण और न्यायपूर्ण समाज के निर्माण हेतु समर्पित करें।
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