देश के भूतपूर्व प्रधानमंत्री प्रधानमंत्री श्री विश्वनाथ प्रताप सिंह की जयंती पर शत-शत नमन। अपनी कर्मठता, ईमानदारी और सिद्धांतों के चलते ख्याति प्राप्त श्री वीपी सिंह ना केवल देश के आठवें प्रधानमंत्री थे, अपितु उनके हृदय में दलितों-पिछड़ों व वंचित समुदायों के प्रति अत्याधिक करुणा थी। भारतीय समाज में उन्हें आज भी सामाजिक न्याय के प्रणेता के तौर पर देखा जाता है, जिन्होंने मण्डल आयोग को लागू कर समाज की अंतिम कतार पर खड़े लोगों को उनके अधिकार दिलाने का काम किया।
25 जून 1931 को इलाहाबाद में जन्में श्री वीपी सिंह की शिक्षा इलाहाबाद और पूना यूनिवर्सिटी से हुई थी। उन्होंने इलाहाबाद के कोराव में गोपाल विद्यालय इंटर कॉलेज की स्थापना की थी। छात्र जीवन से ही राजनीति में सक्रिय श्री वीपी सिंह 1957 में हुए भूदान आंदोलन से भी जुड़े। अखिल भारतीय काँग्रेस कमेटी के साथ जुड़कर उन्होंने लंबे समय तक सेवाएं दी और राजनीतिक भ्रष्टाचार, जातिगत व्यवस्था, सांप्रदायिक हिंसा आदि के खिलाफ लड़ाई लड़ते हुए ही अंतिम सांस ली। एक प्रखर राजनेता होने के साथ साथ श्री वीपी सिंह का आदर्शवादी व्यक्तित्व व कृतित्व सदैव अनुकरणीय रहेगा।
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