चौतरफा खुशियां, मेले और चहल-पहल, यह सब भारत में त्योहारों की सबसे बड़ी पहचान है. हमारा देश त्योहारों का ही देश माना जाता है, जहां प्रत्येक धर्म, संप्रदाय या समुदाय अपने अपने धार्मिक रिवाजों को सप्रेम एक दूसरे के साथ मनाते हैं. इसी तरह के उल्लासपूर्ण त्यौहार का नाम है ईद, इस्लामी कैलेंडर के अनुसार नए चाँद के दिखने के साथ मनाया जाने वाला उत्सव ईद-उल-फितर या मीठी ईद के नाम से जाना जाता है. पवित्र कुरान के मुताबिक, रजमान के पाक महीने में रोजे रखने के बाद अल्लाह एक दिन अपने बंदों को बख्शीश और इनाम देता है. इसीलिए इस दिन को ईद कहते हैं. बख्शीश और इनाम के इस दिन को ईद-उल-फितर कहा जाता है.
ईद के दिन खासतौर से बनाई जाने वाली सेवईयां या शीर-खुरमे से मुंह मीठा करने के बाद छोटे-बड़े, अपने-पराए, दोस्त-दुश्मन गले मिलते हैं तो चारों तरफ मोहब्बत ही मोहब्बत नजर आती है और इस पाक खुशी से दमकते सभी चेहरे इंसानियत का पैगाम सभी को देते हैं.
किसी भी पर्व का असल मकसद इंसानियत और आपसी सौहार्द को कायम करना है और ईद का त्यौहार भी इसी आपसी भाईचारे और एकता का पैगाम हमें देता है. कुरान में भी साफ़ तौर पर यही कहा गया है कि केवल अल्लाह की इबादत काफी नहीं है बल्कि उसके बन्दों की मदद करना और सभी के साथ मिलजुल कर रहना सबसे बड़ा मजहब है और यही सच्ची इबादत भी है.
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