दादा धर्माधिकारी गाँधी सेवा संघ के सक्रिय कार्यकर्ताओं में से
एक थे। इन्होंने अपना अधिकांश समय दलितों और महिलाओं के उत्थान में लगाया। हिन्दी,
संस्कृत, मराठी, बंगला,
गुजराती और अंग्रेज़ी भाषाओं का इन्हें अच्छा ज्ञान था। एक लेखक के
रूप में इनकी दो दर्जन से भी अधिक पुस्तकें प्रकाशित हुई थीं।
नमस्कार, मैं शिवपाल सावरिया आपके क्षेत्र का प्रतिनिधि बोल रहा हूँ. मैं क्षेत्र की आम समस्याओं के समाधान के लिए आपके साथ मिल कर कार्य करने को तत्पर हूँ, चाहे वो हो क्षेत्र में सड़क, शिक्षा, स्वास्थ्य, समानता, प्रशासन इत्यादि से जुड़े मुद्दे या कोई सुझाव जिसे आप साझा करना चाहें. आप मेरे जन सुनवाई पोर्टल पर जा कर ऑनलाइन भेज सकते हैं. अपनी समस्या या सुझाव दर्ज़ करने के लिए क्लिक करें - जन सुनवाई.