आरक्षण दिवस के अवसर पर समाजवादी पार्टी के प्रदेश सचिव सर्वेश अम्बेडकर (पूर्व राज्यमंत्री) ने सभी बहुजनों को हार्दिक बधाईयां अर्पित कीं। उन्होंने आरक्षण की संकल्पना और इसके महत्व पर प्रकाश डाला।
आरक्षण की संकल्पना: जोतिराव फुले जी का योगदान
सर्वेश अम्बेडकर ने बताया कि आरक्षण की संकल्पना राष्ट्रपिता जोतिराव फुले जी की है, जिसे "Concept of Reservation" कहा जाता है। जोतिराव फुले जी का उद्देश्य सभी को संख्या के अनुपात में आरक्षण देना था।
राजर्षि छत्रपति शाहूजी महाराज की पहल
उन्होंने कहा, "आरक्षण का अमल आज ही के दिन अर्थात 26 जुलाई 1902 को राजर्षि छत्रपति शाहूजी महाराज ने अपने संस्थान में शुरू किया। उनका उद्देश्य करवीर संस्थान का राजपाट चलाने के लिए ब्राम्हणेतर लोगों में प्रशासक वर्ग का निर्माण करना था।"
बाबासाहब डॉ. भीमराव अम्बेडकर की नीति
सर्वेश अम्बेडकर ने बताया कि विश्वरत्न बाबासाहब डॉ. भीमराव अम्बेडकर ने आरक्षण की नीति अर्थात "Policy of Reservation" को 26 जनवरी 1950 को भारतीय संविधान में शामिल किया और इसे संवैधानिक दर्जा दिया। बाबासाहब का उद्देश्य था कि हजारों सालों से जिनको संख्या के अनुपात में प्रतिनिधित्व नहीं मिला, उन्हें आरक्षण देकर बहुजन समाज को राजपूरक जमात बनाना था।
आरक्षण की व्यवस्था और वर्तमान चुनौतियां
उन्होंने कहा, "राष्ट्रपिता जोतिराव फुले जी का अधूरा काम राजर्षि छत्रपति शाहूजी महाराज ने अपने करवीर अर्थात कोल्हापूर संस्थान में पूरा किया और बाबासाहब डॉ. भीमराव अम्बेडकर जी ने भारतीय संविधान में आरक्षण की व्यवस्था कर के इसे पूरा किया। लेकिन आज आरक्षण के दुश्मन निजिकरण, आरक्षण का ना अंमल और आरक्षण में भ्रम पैदा करके इसे समाप्त कर रहे हैं। हमें सजग होकर राष्ट्रीय स्तर पर इसका विरोध करना होगा।"
महापुरुषों के संघर्ष और वैचारिकी की विरासत
सर्वेश अम्बेडकर ने महापुरुषों के संघर्षों और उनकी वैचारिकी की विरासत को बचाने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा, "पीडीए समाज में जन्मे महापुरुषों के संघर्षों और वैचारिकी की विरासत को बचाना हमारा कर्तव्य है।"