जय भीम , जय समाजवाद
आरक्षण में किसे किसमें मिलता है?
आरक्षण के तहत कृपा भाव से दलित, पिछड़े समाज के कुछ लोग चपरासी, मास्टर, पटवारी, बाबू और पुलिस में सिपाही आदि बना भी दिए गए तो इसे आप आरक्षण कतई न समझें।
आरक्षण किसे कहते हैं, इसे कुछ उदाहरणों से समझने की कोशिश कीजिए :-
1. जब अपने स्कूल की क्रिकेट टीम में भी चयनित न होने वाले जय साह को सीधे BCCI के अध्यक्ष बनाते हैं, इसे कहते हैं आरक्षण।
2. जब बिना किसी परीक्षा और इंटरव्यू के सीधा हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में अपनी पारिवारिक पृष्ठभूमि एवं रिश्तेदारी के कारण जज नियुक्त होते हैं, उसे कहते हैं आरक्षण।
3. जब तमाम स्कूल और कॉलेज खोलने वाले मैनेजर अपने रिश्तेदारों, बहू-बेटों को, बिना किसी योग्यता और पात्रता के आधार पर और सरकारी अनुदान पर नियुक्त करा लेते हैं, तो इसे कहते हैं आरक्षण।
4. जब तमाम एकेडमिक परिक्षाएं पास करने तथा पात्रता परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद भी सिर्फ जाति के आधार पर घोषित कर दिया जाता है "नाट फाउंड सूटेबल"(कोई पद के योग्य नहीं मिला) ताकि आगे उन पदों पर अपने वर्ग के हितों के अनरूप नियुक्ति की जा सके तो उसे कहते हैं आरक्षण।
5. जब केन्द्रीय मंत्री के पुत्र को बिना किसी प्रतियोगी परीक्षा के राज्य सरकार बड़े पद पर नियुक्त कर देती है तो इसे कहते हैं आरक्षण।
6. जब बिना चुनाव लडे़ मंत्री, मुख्यमंत्री/उपमुख्यमंत्री और अध्यक्ष बना दिया जाता है तथा जिसके नाम पर चुनाव लड़ा था, उन्हें धकिया दिया जाए तो इस सामंतवाद को कहते हैं आरक्षण।
7. जब बिना IAS की परीक्षा पास किए किसी वर्ग-विशेष के लोगों को सीधे संयुक्त-सचिव बना दिया जाता है तो इसे कहते हैं आरक्षण।
8. जब लोकडाउन में भी मुख्यमंत्री, पूर्व प्रधानमंत्री मंदिरों में जाते हैं या विवाह-पार्टी अटैंड करते हैं जबकि दूसरी तरफ मरीजों व मजदूरों को सड़क पर मुर्गा बनाकर पीटा जाता है तो इस विशेषाधिकार को कहते हैं आरक्षण।
9. आज तक तीर-कमान भी न बनाने का अनुभव रखने वाली कम्पनी को सीधे राफेल लड़ाकू विमान बनाने का ठेका दे दिया जाता है तो उसे कहते हैं आरक्षण।
10. जब एक ही तरह के मुकदमे में यादव को जेल और मिश्रा को बेल (रिहाई) मिल जाती है तो यहाँ दिखाई देता है वर्ग और जाति विशेष का आरक्षण।
11. जब हजारों-करोड़ों रूपयों का कर्जा माफ और दस-बीस हज़ार रूपये के लिये कुर्की की जाती है तो उसे कहते हैं आरक्षण।
12. प्राईमरी स्कूल खोलने लायक भी इंफ्रास्ट्रक्चर न होने के बावज़ूद "कागज़ी जियो यूनिवर्सिटी" को 10,000 करोड़ रूपये मिलते हैं वो भी "सेंटर आफ एक्सीलेंस" बनाने के लिये तो इसे कहते हैं आरक्षण।
13. जब राष्ट्रपति के अंगरक्षकों की भर्ती चुनिन्दा जातियों से की जाती है तो उसे कहते हैं आरक्षण।
इसलिए हम कह सकते हैं कि भारत में आरक्षण जन्मसिद्ध अधिकार और भाई भतीजावाद है। जो संवैधानिक आरक्षण है, वह तो सिर्फ प्रतिनिधित्व मात्र है जिसे सर्वाधिकार प्राप्त लोग देना ही नहीं चाहते हैं। सभी यूरोपीय, अमेरिकी, अफ्रीकी और जापान आदि देशों में भी आरक्षण को अपनाया गया है।
प्रतिनिधित्व लोकतंत्र का प्राण होता है, जिसे भारतीय संविधान ने अपने प्रत्येक नागरिक को प्रदान किया है।
साभार
सर्वेश अम्बेडकर