विश्व को शांति, संप्रभुता और सद्भावना का मंत्र देने वाले तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा ने आज हिमाचल प्रदेश में धर्मशाला के मैक्लोडगंज स्थित मुख्य बौद्ध मंदिर में अपना 87वां जन्मदिन तिब्बती रीति-रिवाज के साथ मनाया। इस मौके पर उन्हें देश-विदेश के प्रमुख सामाजिक और राजनीतिक मान्यगणों के साथ साथ अनगिनत लोगों की मंगलकामनाएं मिल रही हैं और लोग उनके उत्तम स्वास्थ्य और दीर्घायु होने की कामना कर रहे हैं। इस मौके पर श्री सर्वेश अंबेडकर ने उन्हें जन्मदिवस की शुभकामनाएं देते हुए कहा,
"तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा का आज जन्मदिन है। 14वें दलाई लामा तेंजिन ग्यात्सो का जन्म छह जुलाई, 1935 को तिब्बत में हुआ था। तिब्बत में चीन सरकार की दमनकारी नीतियों के चलते उन्हें तिब्बत छोड़ना पड़ा था। वह 31 मार्च, 1959 को भारत आ गए थे। तभी से दलाई लामा हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में स्थित मैक्लोडगंज में रहकर तिब्बत की संप्रभुता के लिए अहिंसात्मक संघर्ष कर रहे हैं। तिब्बत की आजादी के संघर्ष का जो रास्ता उन्होंने 24 वर्ष की आयु में अपनाया था उसे शांतिपूर्ण ढंग से लेकर आज भी आगे हैं। उन्हें 1989 में नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया जा चुका है। आज दलाई लामा के जन्मदिवस पर उनकी लंबी उम्र की कामना करते हैं।"