मानव के जीवन को खुशहाल और संतुलित बनाने के लिए बहुत सी वस्तुओं की आवश्यकता होती है, मशीनों, पुर्जों, उत्पादों, सेवाओं आदि के बिना हम अपने रोजमर्रा के जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकते और यदि इन सभी सेवाओं में उचित रूप से मानकों यानि स्टैन्डर्ड का पालन नहीं किया जाये तो हमें बहुत सी मुश्किलों से जूझना पड़ सकता है।
मानकीकरण की दिशा में जागरूकता लाने और विकास करने के उद्देश्य से अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर इसे एक दिवस के रूप में मनाने की शुरुआत वर्ष 1970 में की गई थी, हालांकि विश्व मानक दिवस को लेकर तिथि का चयन 1946 में ही कर लिया गया था जब लंदन में विभिन्न देशों के 25 प्रतिनिधियों ने मिलकर मानकीकरण में सहायता के लिए एक अंतर्राष्ट्रीय संगठन बनाने पर सहमति जताई। भारत में राष्ट्रीय मानक निर्धारण के लिए भारतीय मानक ब्यूरो की स्थापना वर्ष 1947 में हुई थी।
वस्तुत: हमारे सोने से लेकर जागने तक जीवन के हर पहलू पर मानकों का असर पड़ता है, हमारी फोन की रिंगटोन से लेकर घड़ी की टिकटिक तक, जिम की मशीनों से लेकर घर में लगे बल्ब के होल्डर तक, जिसमें आपका बल्ब हर बार बिल्कुल फिट हो जाता है। हमारी सभी मशीनों के प्लग, जो हमारे घरों या दफ्तरों के स्विच बोर्ड में सटीक बैठ जाते हैं, हर वस्तु में एक मानक है और यदि यह मानक गड़बड़ा जाए तो हमारे जीवन में भी उथल पुथल हो जाएगी। मानकों का महत्व हमारे जीवन में काफी अधिक है, इन्हीं मानकों का सम्मान करते हुए और इनके प्रति जागरूकता लाने के उद्देश्य से हम हर साल विश्व मानक दिवस मनाते हैं।