देश के पूर्व प्रधानमंत्री एवं प्रसिद्ध राजनेता श्री पीवी नरसिंहा राव की जयंती पर शत-शत नमन। श्री पीवी नरसिंहा राव, जो कि देश के 9वें प्रधानमंत्री और प्रखर राष्ट्रवादी स्व. अटल बिहारी बाजपेयी जी के राजनैतिक शिष्य माने जाते हैं, आज समस्त देश उनकी 100वीं जयंती मना रहा है। आधुनिक भारत के निर्माण में विशेष योगदान देने वाले श्री नरसिंहा राव देश में आर्थिक सुधारों के प्रणेता और एक प्रबुद्ध प्रशासक के तौर पर जाने जाते हैं। साथ ही वह बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे, उन्हें 10 भारतीय भाषाओं के साथ साथ 6 विदेशी भाषाओं का भी ज्ञान था।
गौरतलब है कि आदरणीय नरसिंहा राव 28 जून, 1921 को आंध्र प्रदेश के करीमनगर जिले में जन्में थे, जो वर्तमान में तेलंगाना राज्य का क्षेत्र है। उन्होंने छात्र जीवन से ही राजनीतिक और सामाजिक कल्याण क्षेत्र में बढ़चढ़ कर भागीदारी लेनी शुरू कर दी थी। पूर्ववर्ती आंध्र प्रदेश में विभिन्न स्थानों पर सत्याग्रह आंदोलनों का श्रेय उन्हें ही जाता है। श्री नरसिंहा राव ने लंबे समय तक आंध्र प्रदेश को विकसित करने के कार्य किए और 1971 से 1973 तक प्रदेश के मुख्यमंत्री पद पर भी रहे। जिसके बाद 1991 में पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या के बाद उन्होंने देश के नौवें प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ग्रहण की।
श्री नरसिंहा राव के 100वें जन्मदिवस के अवसर पर तेलंगाना सरकार इस पूरे साल को नरसिम्हा राव के शताब्दी समारोह के रूप में मना रही है और उनके शताब्दी समारोह के एक हिस्से के रूप में, तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव पिछले एक साल से कई कार्यक्रम आयोजित कर रहे हैं। इसी कड़ी में आज तेलंगाना की राज्यपाल डॉ तमिलीसाई सुंदरराजन हैदराबाद में नेकलेस रोड पर श्री नरसिम्हा राव की 16 फीट की मूर्ति का उद्घाटन करेंगी। देश को आर्थिक विकास देने वाले और सादे किन्तु करिश्माई व्यक्तित्व के साथ श्री नरसिंहा राव ने जिस तरह लाइसेंस राज, परमिट राज आदि को खत्म कर उदारीकरण की नीति को भारत में लाया और देश की डूबती अर्थव्यवस्था को किनारे लगाया, उसके लिए देश सदैव उनका ऋणी रहेगा।