आज हम सभी देश के पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की पुण्यतिथि पर उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित कर रहे हैं. बेहद साधारण व्यक्तित्व वाले लाल बहादुर शास्त्री वास्तव में असाधारण प्रतिभा के धनी थे, जो उन्हें दूसरों से अलग बनाती थी. 2 अक्टूबर, 1904 को उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले से सात मील दूर एक छोटे से रेलवे टाउन मुग़लसराय में जन्में लाल बहादुर शास्त्री ने गरीबी के बीच अपना जीवन गुजारा लेकिन तब भी इनमें देशभक्ति की भावना बेहद प्रबल थी. मात्र ग्यारह वर्ष की आयु में उन्होंने देश के लिए कुछ बेहतर करने का मन बना लिया था. स्वभाव से बेहद विनम्र लाल बहादुर शास्त्री अपने निर्णयों के प्रति चट्टान की भांति अटल रहते थे. जब महात्मा गांधी ने असहयोग आंदोलन में शामिल होने के लिए देशवासियों से आह्वान किया तो सोलह वर्ष की आयु में युवा लाल बहादुर शास्त्री ने शिक्षा छोड़ कर बापू के असहयोग आंदोलन को समर्थन दिया और पारिवारिक जनों के रोकने पर भी उन्होंने अपना निर्णय नहीं बदला.
स्वतंत्रता आंदोलन में लंबे समय तक सहयोग देते हुए भारतीय राजनीति में अनेकों पदों का वहन पूर्ण ईमानदारी और कर्तव्य निष्ठा के साथ किया. उन्होंने बहुत से विभागों में मंत्री पद संभाला, वह केंद्रीय मंत्री मंडल में रेल मंत्री; परिवहन एवं संचार मंत्री; वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री; गृह मंत्री रहे और राजनीति में उनके उच्च आदर्शों की सराहना आज भी की जाती है. उन्होंने 9 जून, 1964 से 11 जनवरी, 1966 तक देश के प्रधानमंत्री पद को संभाला, 27 मई, 1964 में जवाहरलाल नेहरू की मृत्यु हो जाने पर उन्हें देश का प्रधानमंत्री पद सौंपा गया था, जिस पर उन्होंने मृत्युपर्यंत कार्य किया. उनके शासनकाल में भारत पाक युद्ध भी हुआ, जिसमें पकिस्तान को करारी शिकस्त मिली.
महात्मा गांधी के ही समान उच्चतम आदर्श और सिद्धांत रखने वाले लाल बहादुर शास्त्री भारतीय संस्कृति की अभूतपूर्व पहचान हैं और भारतवर्ष के सच्चे लोकनायकों में से एक राष्ट्रीय राजनेता, जिन्होंने आजीवन अपनी दूरदर्शिता, उदात्त निष्ठा व सहिष्णुता का लोहा मनवाया. राजनीति, समाज और राष्ट्रीय हित के अंतर्गत अद्भुत योगदान देने वाली ऐसी महान शख्सियत को कोटि कोटि नमन है और देशवासियों से विनती है कि आइये हम सभी मिलकर देश व लोकतंत्र के प्रति सच्ची भावना से कार्य करें, यही लाल बहादुर शास्त्री को सच्ची श्रृद्धांजलि होगी.
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