आज देश में विभिन्न स्थानों पर भूजल के प्राकृतिक स्त्रोत तालाब खत्म हो रहे हैं। 2022 में मार्च के महीने में ही भारत के विभिन्न स्थानों को लू की विभीषिका झेलनी पड़ी, ऐसे में पेयजल की कमी भी दर्ज की गई। दिल्ली जैसे महानगरों में भूमिगत जल खत्म होने की कगार पर है और देश के अन्य नगरों के हालात भी कुछ अलग नहीं हैं। शहरों-गांवों से खत्म होते तालाबों, बचे-कूचे तालाबों या जोहड़ों को कचरे का डम्पिंग ग्राउन्ड बनाने और तालाबों के पुनरुद्धार से जुड़े अनेकों तथ्यों पर गांव कनेक्शन के एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार की।
इस लेखन के अंतर्गत मेरठ से नीर फाउंडेशन के संस्थापक और नदी पुत्र के नाम से विख्यात पर्यावरणविद् रमनकांत त्यागी ने कहा, "तालाबों का गायब होना केवल ग्रामीण इलाकों की प्राकृतिक सुंदरता को खोने के बारे में नहीं है। तालाबों के पुनरुद्धार पर काम कर चुके रमनकांत त्यागी ने गांव कनेक्शन को बताते हुए कहा कि "तालाबों से पानी का रिसाव हमारे तेजी से खत्म हो रहे भूजल भंडार को फिर से भरने का एकमात्र तरीका है।"
साथ ही उन्होंने तालाबों के अतिक्रमण के बारे में बताया कि तालाबों के अतिक्रमण को कानून प्रवर्तन के तहत लाना मुश्किल है क्योंकि सरकार द्वारा बनाए गए आधिकारिक आंकड़ों में कम रिपोर्टिंग और जमीनी स्थिति आधिकारिक रूप से पंजीकृत की तुलना में कहीं अधिक खराब है।
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