हाल ही में आई फिल्म "द कश्मीर फाइलस" से एक नए विवाद को जन्म मिल गया है, लोग फिल्म के माध्यम से तनाव का माहौल बनाने का प्रयास कर रहे हैं और इसका लाभ सबसे अधिक सत्तासीन दल उठा रहा है। यह कहना है लखनऊ से कॉंग्रेस स्टेट सेक्रेटरी श्री मेराज वली खान का। उन्होंने इस विषय पर विस्तार से जानकारी देते हुए बताया कि 19 जनवरी 1990 को जम्मू-कश्मीर से 4,00,000 से अधिक हिंदुओं को उनके ही घर से भगाया गया था, उस समय केंद्र में विश्वनाथ प्रताप सिंह जी की भारतीय जनता पार्टी और वामपंथी दलों की मदद से गठबंधन की सरकार थी।
उस समय देश के गृह मंत्री अलगाववादी नेता मुफ्ती मोहम्मद सईद, जिनकी बेटी रूबैया सईद का अपहरण कर लिया गया था और कुछ दिनों के बाद कुछ आतंकवादियों के बदले छोड़ दिया गया था और उस समय जम्मू-कश्मीर में राज्यपाल थे बीजेपी के नेता जगमोहन जी।
मेराज वली खान ने सवाल उठाते हुए कहा कि, यहाँ प्रश्न यह उठता है कि उस समय सरकार किसकी थी?, राज्यपाल किसका था?, एक्शन किस को लेना था? हिंदुओं की सुरक्षा देना किस सरकार की जिम्मेदारी थी? निश्चित ही, कश्मीर, भारत भूमि का एक बहुमूल्य अंश है और ये बिल्कुल सच है कि कश्मीर में हिंदुओं के साथ ठीक नहीं हुआ था।
उन्होंने सभी से निवेदन करते हुए कहा कि भाजपा तथा उसके समर्थकों के द्वारा समाज में फैलाये जा रहे भ्रम तथा उसकी गंदी राजनीति का शिकार ना बने, अनुपम खेर सरीखे बेईमान, एक साथ तीन पीढ़ियों को भ्रमित कर रहे हैं।