(बिहार-बाढ़-सूखा-अकाल)
1973 में बिहार विधानसभा में सुखाड़ पर बहस चल रही थी और वक्ता थे भोला प्रसाद सिंह। उन्होंने अपने वक्तव्य शुरू करते ही एक कहानी सुनाई और कहा,
"एक राजा था। जिसके राज्य में अकाल पड़ा। रोज-रोज जनता आकर राजा से खाना मांगती थी तो राजा कहता था कि हमारे यहाँ सुखाड़ कहाँ है? हमारे राज्य में तो जनता दूध-भात खाती है। राजा की तेल मालिश करने वाला राजा से कहता था कि हम तो दूध-भात खाते हैं। इसी से राजा ने अंदाज लगा लिया था। इसका कारण था कि उस तेल मालिश करने वाले के पास एक गाय थी और उसका दूध मिल जाता था।
जब जनता को मालूम हुआ कि तेल मालिश करने वाले के कहने पर राजा ऐसा कहता है तो एक दिन जनता ने उस तेल मालिश वाले की गाय चुरा ली। दो-तीन दिन के बाद तेल मालिश वाले ने आकर राजा से कहा कि अब तो हम नून-भात खा रहे हैं, बहुत अकाल आ गया। इस पर जनता ने राजा से कहा कि हमने इसकी गाय चुरा ली है, इसलिये अब इसके लिये अकाल आ गया।
यही बात इस सरकार की है। जब तक सरकार के मंत्री तथा कर्मचारी भूखों नहीं मरेंगें तब तक यह सरकार भुखमरी को स्वीकार नही करेगी क्योंकि अभी तो इसके कर्मचारी तथा मंत्री दूध-भात खा रहे हैं। भुखमरी से वही लड़ सकता है जो भूख का शिकार होगा। हम नहीं मानते हैं कि प्राकृतिक प्रकोप के कारण यह स्थिति है। मैं यह कहना चाहता हूँ कि सरकार की गलत नीतियों के कारण यह स्थिति पैदा हो गयी है। यह सरकार कुछ नहीं कर सकती।"
वह धार अब देखने को बहुत कम मिलती है।