केवल याद दिलाने के लिये
पंडित जवाहरलाल नेहरू की प्रेस वार्ता, 18 अक्टूबर, 1961, नई दिल्ली
1961 में बिहार में बाढ़ से भारी तबाही हुई थी। मुंगेर जिले में खड़गपुर झील टूटने की घटना भी उसी साल हुई थी जिसमें सैकड़ों लोग मारे गए थे। पंडित नेहरू वह बाढ़ देखने के लिये बिहार तो नहीं आये थे पर हवाई जहाज द्वारा चित्तरंजन से दिल्ली जाते हुए उन्होंने बिहार की बाढ़ को देखा जरूर था।
दिल्ली पहुँचने के बाद उन्होंने उसी दिन एक प्रेस-वार्ता में बताया कि उन्होंने हवाई जहाज से जो दृश्य देखा उससे नीचे का भाग समुद्र जैसा दिखाई पड़ता था। जो गाँव निचली जमीन पर थे वह तो बह गये पर जो थोड़ी ऊँची जमीन पर थे वह टापू की शक्ल में दिखाई पड़ते थे। उन्होंने बिहार के बाढ़ पीड़ितों के लिये देश के प्रत्येक नागरिक की सहानुभूति और सहयोग के लिये अपील की।
उन्होंने कहा कि हर बार बाँध और तटबन्ध की बातें की जाती हैं। मैं ऐसी बातों के खिलाफ हूँ। किसी खास जगह के लिये तो बाँध या तटबन्ध बन सकते हैं किंतु किसी सूबे या जिले को इस तरह से बाढ़ से बचाया नहीं जा सकता। पानी के बहने के रास्ते को बन्द करना तो खतरनाक भी हो सकता है। इसलिये मेरा तो सुझाव है कि हमें पानी के बहने के लिये उसकी निकासी का भी प्रबन्ध करना चाहिये ताकि पानी जैसे आये वैसे ही वह चला भी जाये। हमें प्रकृति से हार नहीं माननी चाहिये किंतु प्रकृति की गति के साथ चलना आवश्यक है।
साभार-आर्यावर्त-पटना