जिन जिलों को वर्षों से हिंडन अपने जल, जैविक विविधता से पोषित करती आ रही थी, आज वही जिले हिंडन की बदहाली के जिम्मेदार बने हुए हैं. हाल ही में सात जिलों की जीवन रेखा मानी जाने वाली हिंडन को केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट के मुताबिक प्रदेश की सर्वाधिक प्रदूषित नदी घोषित किया गया है. इस प्रदूषण के सबसे बड़े जिम्मेदार जिले गाज़ियाबाद, गौतमबुद्धनगर, मुजफ्फरनगर और सहारनपुर हैं, जिनके कारखानों से निकलने वाला वेस्ट लगातार हिंडन में गिर रहा है.
40 गुना अधिक है बीओडी का स्तर – सीपीसीबी रिपोर्ट
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा जरी की गयी रिपोर्ट के अनुसार हिंडन में बायोलॉजिकल ऑक्सीजन डिमांड यानी बीओडी का स्तर तय मानक से 40 गुना तक अधिक मिला है. बायोलॉजिकल ऑक्सीजन डिमांड, जिसे जैविक ऑक्सीजन मांग भी कहा जाता है, का अभिप्राय है कि एक विशिष्ट समय अवधि पर किसी निश्चित तापमान पर दिए गए पानी के नमूने में कार्बनिक पदार्थों को तोड़ने के लिए जलीय जैविक जीवों द्वारा आवश्यक भंग ऑक्सीजन की मांग, जिसका अधिकतम सीमा में मिलना पानी में प्रदूषक तत्त्वों की अधिकता दर्शाता है.
तय मानकों के अनुसार बीओडी का स्तर प्रतिलीटर जल में 3 मिलीलीटर से अधिक नहीं होना चाहिए, जबकि हिंडन में विभिन्न स्थानों पर यही स्तर 40 गुना अधिक यानि 48-120 मिलीलीटर तक मिला है, जिसके चलते हिंडन प्रदेश की सर्वाधिक और देश की चौथी सबसे प्रदूषित नदियों की श्रेणी में आ चुकी है.
विभिन्न जिलों के कारखाने बना रहे हैं हिंडन को विषैला –
रिपोर्ट बताती है कि गाज़ियाबाद के 170, गौतमबुद्धनगर के 56, मुजफ्फरनगर के 43, सहारनपुर के 35, शामली के 5 और मेरठ जिले के 3 कारखाने हिंडन को सबसे अधिक बीमार बना रहे हैं. इन कारखानों से निकलने वाला वेस्ट सात नालों के माध्यम से सीधे हिंडन में गिर रहा है. मुख्यतः टेक्सटाइल, इलेक्ट्रॉनिक्स, एक्सपोर्ट, रबर उद्योग, पाइप, फैब्रिक, स्टील, पेपर, रसायन आदि के उद्योगों पर कार्यवाही की बात भी मात्र कागजों तक सिमट कर रह जाती है, जिससे हिंडन में प्रदुषण कम होने का नाम नहीं ले रहा है.
कचरा डंपिंग का स्थान बन चुकी है हिंडन –
हिंडन में रोजाना तकरीबन 80 लाख लीटर कचरा डंप किया जा रहा है, जो कि सीवर के जरिये नदी में जा रहा है. शहरों में सीवर निस्तारण के लिए हालाँकि एसटीपी बनाये गए हैं. लेकिन तकनीकी खामियों के चलते यह सभी सीवर निस्तारण के लिए अपर्याप्त हैं. जिसके कारण गन्दा पानी हिंडन में जा रहा है.
जिले अपशिष्ट (एमएलडी में)
सहारनपुर 29 MLD
गौतमबुद्धनगर 9 MLD
गाज़ियाबाद 8.4 MLD
मुजफ्फरनगर 5.2 MLD
शामली 4.4 MLD
मेरठ 3.4 MLD
बागपत 0.28 MLD
सहायक नदियाँ भी कर रही हैं हिंडन को प्रदूषित : रमन त्यागी
नीर फाउंडेशन के निदेशक और नदियों की स्वच्छता के लिए पिछले तीन दशकों से काम कर रहे रमन त्यागी का कहना है कि हिंडन को जहरीला बनाने में जहां 25 फीसदी से अधिक भागीदारी गाज़ियाबाद के इंडस्ट्रियल और सीवरेज अपशिष्ट की है, तो वहीँ इसकी सहायक नदियां जैसे पश्चिमी काली नदी भी हिंडन को प्रदूषित कर रही है.
शिवालिक की पहाड़ियों से निकली पश्चिमी काली नदी, जो विभिन्न जिलों से बहते हुए मेरठ की उत्तरी सीमा पर हिंडन में मिलती है, अपनी सारी गन्दगी भी हिंडन में उड़ेल देती है. पश्चिमी काली नदी भी दशकों से प्रदूषण की चपेट में रही है और प्रदेश की दूसरी सबसे प्रदूषित नदियों में शामिल है, ऐसे में हिंडन को स्वच्छ बनाना और अधिक दुश्वार हो जाता है.