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विश्वनाथ राम-लाला लाजपत राय की पुण्यतिथि लाला लाजपत राय पुण्यतिथि पे उन्हें कोटि कोटि नमन

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  • Sanjay Kumar - President Yuva Janta Dal Delhi Sanjay Kumar - President Yuva Janta Dal Delhi
  • November-17-2020

लाला लाजपत राय बचपन से ही बहुमुखी प्रतिभा से धनी थे।  एक ही जीवन में उन्होंने विचारक, बैंकर, लेखक और स्वतंत्रता सेनानी की भूमिकाओं को बखूबी निभाया था। पिता के तबादले के साथ हिसार पहुंचे लाला लाजपत राय ने शुरूआत के दिनों में वकालत की, स्वामी दयानंद सरस्वती के साथ जुड़कर उन्होंने पंजाब में आर्य समाज को स्थापित करने में बड़ी भूमिका निभाई। लाला जी एक बुद्धिमान बैंकर भी थे। आज देश भर में जिस पंजाब नेशनल बैंक की तमाम शाखाएं हमें दिखती हैं उसकी स्थापना लाला लाजपत राय के सहयोग के बिना संभव नहीं थी। आज उनकी पुण्यतिथि के मौके पर उनको याद करते हैं।

1880 में लाहौर स्थित सरकारी कॉलेज में लॉ की पढ़ाई के लिए दाखिला लिया। लॉ की प्रैक्टिस इन्होंने हिसार में की जहां इनका परिवार 1886 में शिफ्ट हुआ था। 1888 और 1889 के नैशनल कांग्रेस के वार्षिक सत्रों के दौरान इन्होंने प्रतिनिधि के तौर पर हिस्सा लिया, और फिर हाईकोर्ट में वकालत करने के लिए 1892 में लाहौर चले गए. साल 1885 में उन्होंने सरकारी कॉलेज से द्वितीय श्रेणी में वकालत की परीक्षा उत्तीर्ण की और हिसार में अपनी वकालत शुरू कर दी। लाला लाजपत जी ने यह महसूस किया कि दुनिया के सामने ब्रिटिश शासन के अत्याचारों को रखना होगा, जिसके लिए उन्होंने वकालत छोड दी और अपनी पुरी ताकत देश को आजादी दिलाने में लगा दी।

लाला लाजपत राय को पंजाब केसरी भी बोलते है। वे जब बोलते  थे तो केसरी की ही भांति उनका स्वर गूंजता था। ये भारत के एक प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी थे। बाल-लाल-पाल त्रयी के स्वतंत्रता आंदोलन में संकलित राष्ट्रीय योगदान में लाला लाजपत राय का सम्माननीय स्थान है। उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में नरम दल (जिसका नेतृत्व पहले गोपाल कृष्ण गोखले ने किया) का विरोध करने के लिए गरम दल का गठन किया. लाल, बाल, पाल यानी लाला लाजपत राय, बाल गंगाधर तिलक और बिपिन चंद्र पाल गरम दल के 3 स्तंभ थे। इनका मानना था कि आजादी याचना से नहीं मिलती, बल्कि इसके लिए संघर्ष करना पड़ता है, यह ऐसा दौर था जब भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस किसी भी मसले पर सरकार के साथ सीधे टकराव का रास्ता अपनाने से बचा करती थी। लालाजी ने बंगाल के विभाजन के खिलाफ हो रहे आंदोलन में भी हिस्सा लिया।

गोखले के साथ लादपत राय 1905 में कांग्रेस प्रतिनिधि के रूप में इंग्लैंड गए और वहां की जनता के सामने भारत की आजादी का पक्ष रखा। 1907 में पूरे पंजाब में इन्होंने खेतीसे संबंधित आंदोलन का नेतृत्व किया। इन्होंने 1913 में जापान और अमरीका की यात्राएं कीं और स्वदेश की आजादी का पक्ष जताया। इन्होंने अमरीका में 1916, 15 अक्टूबर को होम रूल लीग की स्थापना की।  

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