आज 28 रजब है, सन 61 हिजरी मे इंसानियत के अलम बरदार दुनिया को मानवता संदेश देने वाले नवासए हज़रत इमाम हुसैन अ.स.का जालिम हूकुमत के खिलाफ मदीने से सफ़र शुरू हुआ था, जिसे कर्बला पहुँचने में 6 महीने लगे। अरशी रज़ा जी ने सफीपुर की कर्बला में ली गई तस्वीरों को साझा करते हुए जानकारी दी कि मौला ने उनके बुजुर्गों को इसकी तामीर की तौफीख़ दी।
गौरतलब है कि नवासए हज़रत इमाम हुसैन ने यह सफर यजीद के बुरे कामों के विरोध में इंसानियत को जिंदा रखने के लिए किया और अपने 72 साथी कर्बला की जंग में कुर्बान कर दिए। उन्हें कर्बला के मैदान में उक्त समय के जालिम बादशाह यजीद के हुक्म पर शहीद कर दिया गया था, उनके परिजनों में महिलाएं व छोटे छोटे बच्चे भी शामिल थे, जिन्हें बंदी बनाकर एक वर्ष तक कैद में रखा गया था। बादशाह यजीद चाहता था कि इमाम हुसैन उसकी बैयत कर ले ताकि उसकी बुराइयां लोगों से छिपी रहें लेकिन इमाम हुसैन ने कुर्बानी देकर यजीद का असल चेहरा दुनिया के सामने रख दिया। उनकी इसी हिजरत को याद करते हुए हर वर्ष 28 रजब को उन्हें नमन किया जाता है।