नवाबों के शहर लखनऊ की ऐतिहासिक इमारतों में से एक विख्यात बड़ा इमामबाड़ा, जिसे भूलभुलैया भी कहा जाता है। अद्भुत वास्तुकला के परिपूर्ण इसकी इमारत बड़े से बड़े आर्किटेक्ट को भी हैरत में डाल देती है। आज नवाब आसफ़उद्दौला द्वारा निर्मित यह नायाब भव्य संरचना अपने विकास की राह ताक रही है। पर्यटन के नाम पर शासन/प्रशासन बड़ा इमामबाड़ा के नाम पर पैसा तो कमा रहा है लेकिन टूट रही इमारतों और संरचनाओं की मरम्मत करने की फिक्र किसी को नहीं है। इसी विषय पर लखनऊ से उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी खेल प्रकोष्ठ के अध्यक्ष और प्रवक्ता (यूपीसीसी) ने आवाज उठाते हुए कहा,
"लखनऊ के बड़े इमाम बाड़े की हर सिम्त को गौर से देखो, इमारत खुद बोलती है इसके ज़िम्मेदार इसके साथ इंसाफ नही कर रहे है। पैसा तो खूब कमाया जा रहा है मगर इसमे लगाया नही जाता है, जो हिस्सा बोसीदा हो गया वो आए दिन गिर रहा है। जबकी इस एरिये मे मोमनीन कसीर तदात मे रहते हैं, मगर इस सिलसिले मे कोई आवाज़ बुलंद नही होती है। जिसकी वजह से इसके ज़िम्मेदार कान मे तेल डाले बैठे है। बड़े इमाम बाड़े से छोटे इमामबाड़े तक जितना कारोबार/दुकानें आदि हैं, वो सब आए दिन मोमनीन के हाथों से बहुत तेजी से निकलता जा रहा है। जो बहुत ही फिक्र की बात है, हर जगह गैरों की कसरत बढ़ती जा रही है, यह एक सैलाब की शक्ल इखतियार करती जा रही है। इसमे मुझे ऐसा महसूस होता है कि शासन/प्रशासन दोनों ही मोमनीन के साथ साजिश कर रहे हैं।"