परमेश्वर कुंवर का बिहार विधानसभा में सर्वकालिक भाषण (1968) जो 56 साल पहले दिया गया था।
चाहे कांग्रेस की सरकार हो, चाहे गैर-कांग्रेसी सरकार हो, चाहे श्री बाबू ओर अनुग्रह बाबू की सरकार हो या श्री जवाहर लाल नेहरु की सरकार हो, मैं उन लोगों का आदर करता हूँ, वह सम्माननीय लोग थे, चाहे जो हों, जहां महेश बाबू, दीप नारायण बाबू सिंचाई मंत्री रहे हों, पूरे बिहार में कोसी योजना के बारे में कहता आया हूँ।
उस सन्दर्भ में कोसी अंचल में ज्यादा काम नहीं हुए हैं, पर वे वहां के बारे में पूरे बिहार को अन्धकार में रखे हुए हैं। रोशनी में नहीं आने देते, सही बात समझाने नहीं देते।
सरकार के अफसर जो भी घिसा-पिटा भाषण करने को सिखा देते हैं, वे वही करते हैं। आज मंत्री महोदय को समीक्षा करनी चाहिए थी कि...14 करोड़ 5 लाख एकड़ ज़मीन की सिंचाई का लक्ष्य जो रखा गया था उसमें कितनी ज़मीन की सिंचाई होती है?...उन्हें पेश करना चाहिए था कि साढ़े छः लाख एकड़ ज़मीन को बाढ़ से मुक्त करने का जो लक्ष्य था उसका क्या हुआ?
आज कितनी ज़मीन बाढ़ से मुक्त हो चुकी है और कितनी नहीं। तटबंध के अन्दर कितनी ज़मीन है, इस सबका आंकड़ा पेश करना चाहिए था। अगर ऐसा नहीं होता है तो कांग्रेसी सरकार को मिटाने का कोई फायदा नहीं हो सकता है।
हमारे इलाके के लोग बेचैन हैं कि उनका पुनर्वास नहीं हो रहा है, तटबंध के दोनों ओर अभी भी लाखों एकड़ ज़मीन में पानी जमा है। आज उस ज़मीन पर पानी नहीं होता तो तीन-तीन फसलें होतीं।
यह भाषण आज भी बिना किसी ख़ास परिवर्तन के दिया जा सकता है।