केन्द्रस्थ : Catching hold of Nucleus : MMITGM : (122)
गंगा किनारे के शहरों में कोरोना वायरस के संक्रमण का न्यूनतम होना गंगा की शक्ति का पटापेक्षण है. यही है "इन्द्री-मन-बुद्धि-आत्मा" के संबंध ज्ञान का स्थान विशेष का गुण होना है. अतः गंगा-जल का बैक्टीरियोफ़ॉस कोरोना वायरस जैसे अनेकों वायरस का मेडिसिन है?
हे भोलेनाथ! आपने हाथ पाँव बाँधकर विश्व भर के लोगों को घरों में बन्द करके "जीवन है क्या" पर गहन आत्मचिंतन करने का अवसर प्रदान किया है. आपने एक कोरोना वायरस से नहीं अनेकों समरूप वायरसों से निवारण की शक्ति-संकलन की तकनीक रूपी आत्मशक्ति को जन्म दिया है. क्या आपने "इन्द्रिये-स्वाद-संवेदनाएं तथा मन , बुद्धि और आत्मा में क्या संबंध है, इसको समझा है. फड़फडाओ नहीं बल्कि देखो कि तुम से बहुत ऊपर भी कोई है. यह संदेश आपने दिया है भोलेनाथ. ये चारों अदृव्यावलोकित शक्तियाँ क्या हैं मंथन करो? इनमें कौन बड़ा है और कौन छोटा, इनमें कौन ज्यादा सूक्ष्म है और कौन सबसे श्रेष्ठ को समझो. हे भोलेनाथ! आपने नाक-कान-आँख आदि विभिन्न आकार प्रकार और स्वरूपों के विभिन्न स्थानों पर इन्द्रियाँ दी हैं. ये विभिन्न चरित्रों के शक्ति-तरंगों को निरूपित करते हैं. अतः ये स्थूल शरीर से श्रेष्ठ, बलवान और सूक्ष्म हैं. क्या "मन" एक दूसरे तरह की शक्ति-तरंग है. यह इन्द्रिय तरंगों से कहीं ज्यादा आवृत्ति का विशेष शक्तिशाली है? क्या यह कोशिकाओं को अनियमितता से आन्दोलित करता हुआ शक्तिक्षय करता रहता है. क्या बुद्धि, मन से अलग तरंग है. यह व्यवस्थित कोशिका से उत्पन्न होता है. ये आवेष्टित और उद्देश्य युक्त होते हैं. ये मन-शक्ति-तरंग से उच्च आवृत्ति के होते हैं. अतः हे शक्ति-संचालक! बुद्धि ज्यादा व्यवस्थित, सूक्ष्म, उच्च आवृति का शक्ति-तरंग होता है, जो मन-शक्ति-तरंग को नियंत्रित कर सकता है. यह विपरित आवेश का होता है जो शक्ति क्षय को नियंत्रित करता है. इनके अतिरिक्त यह आगे के लक्ष्य बिंदु, आत्मा को जानता है. क्या बुद्धि कोशिका की निर्धारित व्यवस्था से उत्पन्न केन्द्र के साथ ही उत्पन्न होता है? अतः बुद्धि तरंग इन्द्री और मन तरंगों पर अंकुश दे सकता है और आत्मा की दिशा में दृढ दृष्टि रखना बुद्धि का मौलिक चरित्र है. हे इस शरीर में सूक्ष्म ब्रह्मांड को प्रतिष्ठित करनेवाले भोलेनाथ! आपने इन्द्री, मन, बुद्धि और आत्मा की सूक्ष्मता, शक्ति-संपन्नता और श्रेष्ठता का संबंध उसी प्रकार रखते हैं जैसे एटोमिक ऑर्बिटलस में अक्ष के आकार का केन्द्र की दिशा में घटते जाना उनके शक्ति-स्थैतिक-ऊर्जा तथा उसकी श्रेष्ठता, शांति-केन्द्र और न्यूक्लियस के करीब आते जाना है, क्या इसी की प्रस्तुति भगवान श्रीकृष्ण नें यहाँ की हैं...
इन्द्रियाणि पराण्याहुरिन्द्रियेभ्यः परं मन: । मनसस्तु परा बुद्धिर्यो बुद्धेः परतस्तु स: । एवं बुद्धेः परं बुद्ध्वा संस्तभ्यात्मानमात्मना । जहि शत्रुं महावाहों कामरूपं दुरासदम् ।। गीता : 3.42-43 ।।
इन्द्रियों को स्थूल शरीर से पर यानि श्रेष्ठ बलवान और सूक्ष्म कहते हैं. इन इन्द्रियों से परे मन है, मन से भी परे बुद्धि है और जो बुद्धि से भी अत्यन्त परे है वह आत्मा है. इस प्रकार बुद्धि से परे आत्मा को जानकर और बुद्धि द्वारा मन को वश में करके हे महावाहों! तुम इस कामरूपं दुर्जय शत्रु को मार सकते हो.
हे दया सिन्धु! "बुद्धि" जब मन और इन्द्रिय-गुण-तरंगों से सूक्ष्म, शक्तिशाली और द्रूतगामी है तब यह अपने से सूक्ष्म और शांतिपूर्ण स्थैतिक ऊर्जा के सागर, आत्मा, न्यूक्लियस की ओर नहीं आगे बढ़ पीछे मन और उससे पीछे इन्द्री से प्रभावित हो कोरोना वायरस जैसे समस्याओं का जन्म देता है. यही है "इन्द्री-मन-बुद्धि-आत्मा" के संबंध को नहीं समझना, कोरोना वायरस को जन्म देना. इस समस्या से उत्पन्न पारिस्थितिकी का निर्वहन करने में विश्व राष्ट्राध्यक्षों में हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी सबसे आगे हैं. समय से लॉकडाउन का निर्णय करने वाले, अग्रसोची और महा-सचेष्ट प्रधानमंत्री यह अवश्य अवलोकन करते होंगे कि लॉक डाउन के इस समय में गंगाजल की शुद्धता प्रखरतम हुई है और यह भी प्रधानमंत्री जी को परिलक्षित होने की आवश्यकता है कि कोरोना वायरस का प्रकोप उन शहरों में बहुत कम है, जो शहर गंगा के किनारे हैं जैसे कानपुर, प्रयागराज, वाराणसी, पटना, भागलपुर आदि. अतः गंगा का पूर्ण संरक्षण ही देश की समस्याओं का निदान है. हम देशवासी यह उम्मीद कर रहे हैं कि श्रीमान प्रधानमंत्री जी "गंगा की मौलिकता को गंगा-ज्ञानयोग के प्रचार-प्रसा -ट्रेनिंग" द्वारा गंगा नदी तकनीकी-संस्थाओं को यथा गंगा-अन्वेषण केन्द्र, काशी हिंदू विश्वविद्यालय को MMITGM वाराणसी को संवर्धित करेंगे और नयी संस्थाओं को प्रतिष्ठित करेंगे.