जल्द ही अंतवाडा में नदी महोत्सव मनाया जायेगा. नदी को स्वच्छ करने के लिए जल मंत्रालय से बातचीत करके गंगनहर से पानी लाने का प्रयास किया जायेगा. काली नदी उद्गम स्थल पर पुनर्जीवन का कार्य भी प्रगति पर है, जिससे नदी धीरे धीरे अपने पुराने स्वरुप में लौट रही है. आज काली नदी के किनारे वन क्षेत्र विकसित करने का प्रयास करते हुए नदी उद्गम स्थल पर विभिन्न प्रजाति के तकरीबन 200 पौधे रोपे गए हैं. (रमन त्यागी, निदेशक, नीर फाउंडेशन)
वह क्षेत्र जहां कुछ समय पूर्व तक काली नदी दिखाई ही नहीं देती थी, आज अविरल जलधारा बहने लगी है. नीर फाउंडेशन सहित विभिन्न संस्थाओं के संयुक्त प्रयासों से काली नदी उद्गम स्थल अंतवाडा पर अब काली नदी जीवंत होती दिख रही है. काली नदी को संरक्षित एवं संवर्धित करने के उद्देश्य से किये जा रहे प्रयासों की श्रृंखला में एक और पहल करते हुए नीर फाउंडेशन एवं हेस्को की ओर से पौधारोपण अभियान चलाया गया. इस मौके पर नीर फाउंडेशन के संरक्षक पदम् श्री डॉ अनिल जोशी ने कहा कि अब जल्द ही अंतवाडा से पुन: काली नदी का प्रवाह होगा, जिससे वैश्विक पटल पर गाँव का नाम रोशन होगा और इतिहास लिखा जायेगा.
पौधारोपण के इस क्रम में डॉ अनिल जोशी ने काली नदी पुनर्जीवन अभियान के विभिन्न कार्यों का निरीक्षण भी किया. उन्होंने वहां बनाये गए करीब 300 वाटर रिचार्जिंग पिट्स का जायजा लिया, साथ ही नदी के छोर एवं तीनों तालाबों का अवलोकन किया. पौधारोपण कार्यक्रम के बाद उन्होंने वन विभाग से नदी किनारे बड़ी संख्या में पौधारोपण की अपील करते हुए कहा कि अब नदी किनारे वनक्षेत्र के विकास की आवश्यकता है. अब नदी की मुख्य धारा साफ़ कर दी गयी है, जिससे आस पास के कईं जिले लाभान्वित होंगें. अभियान में डॉ अनिल जोशी, नीर फाउंडेशन के निदेशक रमन त्यागी, ग्राम प्रधान, पूर्व एसडीएम खतौली अजय कुमार अम्बष्ट, डीएफओ सूरज, हेस्को से शालिनी और डॉ अनीता ने भी अपनी भागीदारी दर्ज करायी.