मकर संक्रांति, जिसे देश भर में विभिन्न विभिन्न नामों के साथ मनाया जाता है। उत्तर प्रदेश में जहां इस दिन को मकर संक्रांति या खिचड़ी संक्रांति के नाम से जाना जाता है, वहीं गुजरात में यह पर्व उत्तरायण के नाम से प्रसिद्ध है क्योंकि इस दिवस के बाद से सूर्य उत्तर दिशा की ओर गमन शुरू कर देता है, जो ऋतु परिवर्तन का सूचक भी है। भारत के दक्षिण में यह त्यौहार पोंगल के नाम से निरंतर चार दिन तक मनाया जाता है, वहीं असम और देश के अन्य पूर्वी भागों में यह दिन बिहू के नाम से विख्यात है।
जिस तरह मकर संक्रांति के नाम अलग अलग है, उसी तरह इसे मनाने की परंपरा में भी काफी विविधता है। देश के उत्तरी और उत्तर पूर्वी भाग में इस दिन गंगा स्नान, सूर्य पूजन और दान की अनोखी परंपरा है। तिल, गुड, चावल, दाल, चिड़वा इत्यादि से बने खाद्य पदार्थों का प्रसाद के रूप में सेवन और दान करने का इस दिन विशेष महत्त्व है। देश के पश्चिमी हिस्से यानि गुजरात और राजस्थान के एक बड़े हिस्से में यह दिन पतंग उत्सव के रूप में मनाया जाता है। पोंगल उत्सव के अवसर पर देश के दक्षिणी हिस्से में लोग कृषि, पशुधन, सूर्य, वर्षा आदि का पूजन घी, दूध, शक्कर, चावल इत्यादि से करते हैं।
स्वास्थ्य की दृष्टि से भी यह पर्व बेहद खास है। कहा जाता है कि मकर संक्रांति के दिन सूर्य की किरणों का तेज व्यक्ति के शरीर पर पड़ने से एक नवऊर्जा का संचार होता है। साथ ही तिल, गुड, मूंगफली आदि के रूप में जो खाद्य पदार्थ प्रसाद के रूप में खाए जाते हैं, सर्दियों के मौसम में वह सभी विशेष लाभदायक माने जाते हैं। इन सभी के सेवन से शरीर को जरूरत की उष्णता मिलती है और निरोगी काया प्राप्त होती है। आप सभी देशवासियों को सूर्य पूजन के इस सबसे बड़े दिवस की कोटि कोटि शुभकामनाएं।
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