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रामलखन गौतम-स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं आज़ादी का उत्सव आप सभी देशवासियों के जीवन में मंगल लाये

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  • August-15-2022

सुंदर है जग में सबसे, नाम भी न्यारा है..

जहां जाति-भाषा से बढ़कर बहती देश-प्रेम की धारा है..

निश्चल, पावन, प्रेम पुराना, वो भारत देश हमारा है..!!

15 अगस्त 1947 का दिन भारतीय इतिहास के लिए स्वर्णिम दिवस माना जाता है क्योंकि इस दिन अंग्रजों की लगभग 200 वर्ष गुलामी के बाद हमारे देश को आज़ादी प्राप्त हुई थी. भारत को आज़ादी दिलाने के लिए कई स्वतंत्रता सेनानियों को अपनी जान गंवानी पड़ी थी, उनके समर्पित देशभक्ति भाव और कठिन संघर्षों के बाद ही भारत ब्रिटिश हुकूमत से आज़ाद हुआ था, तब से ले कर आज तक हर 15 अगस्त को हम अपने स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाते आ रहे हैं.

इस दिन का ऐतिहासिक महत्व अत्याधिक है, क्योंकि इस दिन की याद आते ही उन शहीदों के प्रति श्रद्धा से मस्तक अपने आप ही झुक जाता है..जिन्होंने स्वतंत्रता के यज्ञ में अपने प्राणों की आहु‍ति दी. इसी के नाते यह हमारा पुनीत कर्तव्य है कि हम इस स्वतंत्रता को जाया न होने दें, देश का नाम विश्व में सम्मान के साथ लिया जाए, कुछ ऐसा हम कर दिखाएं. हमें यह निर्णय इस स्वतंत्रता दिवस लेना होगा कि हम देश की प्रगति के साधक बनें बाधक नहीं.
इन सुखद आशाओं के साथ आप सभी देशवासियों को स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं | 
आइये जानें अपने भारत और इसके इतिहास को -  
सारे जहाँ से अच्छा, हिन्दोस्ताँ हमारा,

         हम बुलबुलें हैं इसकी, ये गुलिसताँ हमारा...!!

सुप्रसिद्ध शायर मोहम्मद इक़बाल ने वर्ष 1905 में तराना-ए-हिन्द लिखकर भारत को एक ऐसे सुंदर चमन की उपाधि दी, जिसमें करोड़ों देशवासी चिड़ियाओं से चहकते प्रतीत होते हैं. एक ऐसा वतन, जो अपने जुझारूपन, हौंसले और समृद्ध संस्कृति के चलते विश्व भर में जाना जाता है.

भारत का परिद्रश्य, मौसम, भोजन, परम्पराएं, त्यौहार, प्राचीनतम सभ्यता, जुगाड़ सब कुछ मिलकर हमारे देश को दुनिया के बाकी देशों से अलग और विशेष बनाते हैं. इतिहास के पन्नों में यूहीं भारत को विश्व गुरु का दर्जा नहीं मिला, बल्कि इसके मूल में छिपा है हम भारतीयों का अतुल्य ज्ञान भंडार....आज सिलिकॉन वैली की बड़ी बड़ी कंपनियों, नासा इत्यादि में भारतीयों की बड़ी संख्या में उपस्थिति इसका साक्षात् उदाहरण है.

तो चलिए जानते आज जानते हैं कि ऐसे कौन से फैक्ट्स हैं जो भारत को अन्य देशों की तुलना में महान बनाते हैं, ऐसा क्या है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी, जबकि सदियों रहा है दुश्मन दौर-ए-जहां हमारा? जरा गौर फरमाइए जनाब, क्योंकि यह सब जानकर आप गर्व से कहेंगे कि “हम भारतीय हैं.”

1. योग – स्वस्थ तन-मन का आधार  

हमारी हजारों वर्ष प्राचीन धारा “योग” ऋषि-मुनियों वैज्ञानिकों द्वारा प्रदत्त एक तकनीक है,  हजारों सालों से चिकित्सकों, यात्रिओं और साधकों ने योग के विज्ञान को समस्त भारतीय उप-महाद्वीप में प्रसारित किया.

रामलखन गौतम-स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं   आज़ादी का उत्सव आप सभी देशवासियों के जीवन में मंग

इस विद्या को सर्वाधिक प्रचार-प्रसार ऋषि पतंजलि के द्वारा मिला, जिन्होंने योग में विभिन्न मुद्राओं, आसनों और प्राणायाम की विविध तकनीकों को बेहतर रूप से आम जन की सुलभता के लिए समावेश किया. वर्तमान प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र सिंह मोदी जी के प्रयासों से वर्ष 2015 में यूएन के माध्यम से विश्व भर में योग का प्रचलन शुरू हुआ, यानि 21 जून को प्रति वर्ष दुनिया “इंटरनेशनल योग दिवस” के जरिये भारत की इस प्राचीनतम विद्या से लाभान्वित होती है.

तो गर्व कीजिये अपने भारतीय होने पर, क्योंकि हमने संसार को अपनी समृद्धशाली योग विद्या से अंगीकार करके वैश्विक आरोग्य की एक नई परिभाषा का ईजाद किया.

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2. ओम – मंत्रोच्चारण की शक्ति से कराया दुनिया का परिचय

“ओम” को एक कॉस्मिक ध्वनि के रूप में जाना जाता है, भारतीय प्राचीन ग्रन्थानुसार ओम एक वैश्विक ध्वनि है, जिससे समस्त सृष्टि की उत्पत्ति हुई है.

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प्राचीन भारत के हमारे विज्ञानियों, ऋषि मुनियों ने युगों पहले ही बता दिया था कि ॐ शब्द के गहन उच्चारण से तन-मन के समस्त विकार दूर होते हैं. वहीं आज विज्ञान भी इस बात की पुष्टि करता है कि ॐ के उच्चारण से शरीर के विभिन्न भाग सक्रिय होते हैं, मंत्रोच्चारण की यह विद्या कंपन चिकित्सा के अंतर्गत आती है..जहां विभिन्न शारीरिक भागों के प्रतिध्वनित होने से मष्तिष्क की क्रियाशीलता बढती है और ऊर्जा का संचार होता है. नतीजतन शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढती है और विभिन्न रोगों से राहत मिलती है. यदि यकीन न आए तो निम्नांकित वैज्ञानिक अध्ययनों पर नजर डालिए, आप स्वयं समझ जायेंगे..

तो गर्व कीजिये अपने भारतीय होने पर क्योंकि आज योग के माध्यम से ॐ का उच्चारण कर लोग वैश्विक रूप से स्वास्थ्य अर्जित कर रहे हैं.

4. रामायण – एक महाकाव्य, जिसने नैतिकता और सामाजिक मूल्यों की सीख दी

श्री राम को कौन नहीं जानता, जिन्होंने पारिवारिक मूल्यों, नैतिकता, दयालुता, पराक्रम, शौर्य और बुद्धिमत्ता की सीख दी रच दिया. जिन्हें न केवल भारत अपितु विश्व के अन्य कईं देशों जैसे थाईलैंड, बर्मा, इंडोनेशिया, मलेशिया, जापान, चीन, यूरोप के कुछ देशों में विभिन्न नामों और विविध रूप से पूजा जाता है.

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आदि कवि ऋषि वाल्मीकि कृत रामायण विश्व के सबसे बड़े पुरातन महाकाव्यों में से एक है, जिसमें 24,000 श्लोक सात अध्यायों के अंतर्गत लिखे गए हैं.

तो गर्व कीजिये कि प्रभु श्री राम के सुन्दर और महानतम चरित्र से सुशोभित रामायण का सृजन हमारे भारत में ही हुआ है. राम चरित मानस शेक्सपियर या यूरोप के किसी भी साहित्यिक कार्य से काफी पहले का महाकाव्य है.

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6. भगवद्गीता और महाभारत

भगवान श्री कृष्णा के मुख से कुरुक्षेत्र की युद्धभूमि पर अर्जुन को दिए गए उपदेश “भगवद्गीता” के रूप में आज विश्व की उन प्राचीनतम ऐतिहासिक धरोहरों में से एक हैं, जिनकी महत्ता का गुणगान समस्त संसार में किया जाता है. तकरीबन 1.8 मिलियन शब्दों में लिखा गया यह ग्रंथ विश्व के वृहद् आलेखों की सूची में सम्मिलित हैं.

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दूसरी ओर कृष्णा, एक ऐसे महान चरित्र का परिचायक हैं..जो एक तरफ साधारण सा गोप बालक बनकर गायों, नदियों, पर्वतों, हरियाली, साधारण जन जीवन के संरक्षण की गूढ़ से गूढ़ बात मात्र बाल-लीलाओं में ही कर जाता है. वहीँ दूसरी ओर एक राजकुमार के रूप में अपने कूटनीतिक आचरण, कुशल वक्तव्य, चातुर्य और बुद्धिमत्ता से धर्म की स्थापना के लिए महाभारत के रणक्षेत्र में सारथी बन जाता है.

तो गर्व कीजिये कि आप भारतीय हैं क्योंकि आप अपनी जन्मभूमि श्री राम और श्री कृष्ण के साथ साझा करते हैं.

7. नदियों और प्रकृति की पुरातन संस्कृति रहा है भारत

क्या आप जानते हैं कि भारत को “इंडिया” का नाम क्यों और कैसे मिला? भारत इंडस नदी के पूर्वी छोर (ईस्ट ऑफ़ द इंडस) पर बसा हुआ था, जिसके कारण इसे पहले “ईस्ट इंडीज” तथा बाद में “इंडिया” नाम से जाना गया.

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यहां तक कि भारत को हिन्दुस्तान नाम भी इंडस नदी के जरिये ही मिला, जिसे पूर्वकाल के अवेस्तान में सिंधु के नाम से जाना जाता था और उसके पूर्व में होने के चलते भारत को “हाप्ता हिंदू” कह दिया जाता था, जो लोकचलन के अनुसार बाद में हिन्दुस्तान में परिणत हो गया.

तो गर्व कीजिये कि आप भारतीय हैं, क्योंकि प्रकृति, नदियों, पहाड़ों से हमारा नाता बेहद प्राचीन रहा है, हमारी बड़ी से बड़ी सभ्यताएं ही इन नदियों के किनारे ही पोषित हुई हैं.

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8. हम सचमुच सोने की चिड़िया हुआ करते थे  

आज 2019 में भारत दुनिया की तेजी से विकसित होती हुई अर्थव्यवस्थाओं में से है. यहां तक कि अंग्रेजों की गुलामी के समय भी भारत एक ऐसा समृद्धशाली देश था, जिसका वैश्विक अर्थव्यवथा में 25 फीसदी का योगदान था. साथ ही भारत से जाने वाला प्रत्येक व्यापारिक माल गुणवत्तापूर्ण होता था, जिसके चलते वैश्विक बाजार में हमारी वस्तुओं की बहुत मांग थी.    

रामलखन गौतम-स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं   आज़ादी का उत्सव आप सभी देशवासियों के जीवन में मंग

तो गर्व कीजिये अपनी उस समृद्धशाली अर्थव्यवस्था पर, अपने प्राकृतिक संसाधनों के भंडारण पर और वास्तव में सोना उगलने वाली भारत माता की कोख पर...जिसने न केवल भारतवासियों अपितु अन्नपूर्णा बनकर विश्व का भी उद्धार किया है.  

9. अनेकता में एकता..भाषा अलग, बोली अलग..फिर भी एक हैं हम

जी हां भारत विश्व का अकेला ऐसा देश है, जिसमें 29 भाषाएँ और लगभग 1635 बोलियाँ बोली जाती हैं. भाषागत इतनी विविधता होने के बावजूद में हम सभी में जो अनदेखा सा एकत्व है, वह वास्तव में अनूठा है. भारत में कहते हैं न...

कोस कोस में बदले पानी,

चार कोस पर वाणी..!!

तो गर्व कीजिये कि आप एक ऐसे देश के निवासी हैं, जिसे समस्त विश्व उसकी विविधता भरी एकता के लिए अचरज भरी निगाहों से देखता है.

रामलखन गौतम-स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं   आज़ादी का उत्सव आप सभी देशवासियों के जीवन में मंग

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10. अनोखी है भारतीय पाक शैली

जितना अनूठा हमारा देश है, उतनी ही अनूठी है हमारी भोज्य शैली. एक विशिष्ट आयुर्वेदिक शारीरिक संरचना के अनुसार भोजन करते हैं हम भारतवासी, यानि दाल, चावल,  रोटी, मौसमी सब्जी, अचार, पापड़, सलाद, लस्सी, मिष्ठान के सम्मिश्रण से तैयार हमारी पोषक थाली पूर्व से पश्चिम और उत्तर से दक्षिण तक विविधता लिए हुए है. किन्तु उसमें पोषक तत्वों का संतुलन कहीं भी कमतर नहीं है. राजस्थान का दाल-बाटी-चूरमा हो या बिहार का लिट्टी चोखा....उतराखंड की भट्ट की चुढखानी हो या चेन्नई का रसम...भिन्न भिन्न किस्मों के हजारों पकवानों का स्वाद हमारे देश में रचा बसा है, जो विदेशों से भी लोगों को यहां बरबस खींच लाता है.

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तो गर्व कीजिये कि आप भारतीय हैं, क्योंकि हमारी परंपरागत भोज्य शैली ने विश्व को कैंसर, मोटापा, हाइपरटेंशन, हृदय-किडनी रोग इत्यादि गंभीर बीमारियां नहीं बल्कि रोगों का निदान करने की प्राकृतिक ताकत दी है.

11. बहुत कुछ कहता है हमारा तिरंगा

भारतीय शान का प्रतीक तिरंगा एक भारतीय स्वतंत्रता सेनानी किसान पिंगली वेंकैया द्वारा डिज़ाइन किया गया था. भारतवासियों के लिए तिरंगा राष्ट्रध्वज से बढ़कर अहमियत रखता है. हमारा तिरंगा कानूनन रूप से केवल खादी से ही निर्मित होता है और इसके तीनों रंग हमारी भारतीयता की जड़ों को दर्शाते हैं. “केसरिया” शौर्य का, “श्वेत” शांति का और “हरा” हमारी समृद्ध कृषि व्यवस्था का प्रतीक है.

रामलखन गौतम-स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं   आज़ादी का उत्सव आप सभी देशवासियों के जीवन में मंग

तो गर्व कीजिये अपने भारतीय होने पर, क्योंकि हमारे इतिहास के पन्नें हमारे वीरों की गौरवमयी गाथाओं से भरे हुए हैं...पराक्रम हमारी रगों में है, फिर भी हमने कभी अन्य देशों की भांति किसी कमजोर देश को गुलाम बनाने का प्रयास नहीं किया और स्वाभाव से सादे-सरल-सहज से हैं हम भारतीय...जो अपनी जमीन को मां समान मानते हुए अपनी फसलों, जंगलों, पहाड़ों और नदियों को पूजते हैं.

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12. अंकगणना का सृजन भी भारत में ही हुआ

गणित, जिसके बिना आज विकास की संकल्पना तक नहीं की जा सकती और जो आज तक देश-विदेश में होने वाली औद्योगिक क्रांतियों के मूल में रहा है..उसके सृजन का श्रेय भी चौथी सदी के भारतीय गणितज्ञों को ही जाता है. संख्या, शून्य, स्थानीय मान, अंकगणित, ज्यामिति, बीजगणित, कैलकुलस आदि का प्रारम्भिक कार्य भारत में सम्पन्न हुआ.

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पाणिनि, ब्रह्मगुप्त, आर्यभट्ट, पिंगल, माधवाचार्य,श्रीधराचार्य, महावीराचार्य सहित अन्य असंख्य भारतीय गणितज्ञों का योगदान आज के गणित में देखने को मिलता है. मसलन, शून्य, दशमलव और शुल्व सूत्र (आज के समय का पाइथागोरस थिओरम) भारत में आदि काल में ही ईजाद हो चुका था. ज्यामिति, त्रिकोणमिति की खोज पूर्व मध्य काल में हुई. यहां तक कि हमारे यजुर्वेद में भी गणितीय संक्रियाओं का दर्शन मिलता है.

तो गर्व कीजिये अपने भारतीय होने पर, क्योंकि हमारे वंशजों ने विश्व को उसका आधार यानि गणित प्रदान करने में सबसे अहम भूमिका का निर्वाह किया है.

13. भारतीय आयुर्वेद – अचूक स्वास्थ्य का प्राचीनतम विज्ञान  

भारत में लगभग 8000 वर्ष पुरानी वैज्ञानिक दृष्टिकोण पर आधारित विद्या आयुर्वेद आज भी चिकित्सा शास्त्र में आधुनिक विज्ञान को टक्कर दे रही है. जहां एलोपैथी मर्ज को दबाने के सिद्धांत पर आधारित है, वहीं हमारा आयुर्वेद कहता है कि,

आपकी जीवनशैली ऋतुनुसार संयमित, स्वास्थ्यवर्धक और पोषक हो, ताकि आप किसी रोग की गिरफ्त में नहीं आए और भूलवश यदि बीमार हो भी जायें तो हमारे वन-उपवन-रसोईघर में ही हमारे लिए हर प्रकार की औषधि मौजूद है.

रामलखन गौतम-स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं   आज़ादी का उत्सव आप सभी देशवासियों के जीवन में मंग

तो गर्व कीजिये अपने भारतीय होने पर क्योंकि हमारा आयुर्वेद बेहद समृद्ध और प्राचीन है, ऋषि-मुनियों द्वारा प्रदत्त यह विरासत आज समस्त संसार अपना रहा है और इसका लोहा मान रहा है.

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14. चरक-संहिता : शल्यचिकित्सा की शुरुआत भी भारत से ही हुई

विश्व का इतिहास भले ही इस तथ्य को नकारें, किन्तु शल्यचिकित्सा की प्रारंभिक संरचना तो भारत में ही सृजित हुई. हमारे भारतीय चिकित्सा विज्ञान के सबसे बड़े नामों में सम्मिलित ऋषि चरक, ऋषि सुश्रुत और ऋषि वाग्भट्ट को आज समस्त विश्व उनके शल्यचिकित्सा में दिए गए योगदान के कारण जानता है. “चरक-संहिता” के आठ भागों में तकरीबन 120 अध्याय हैं, जो आज के चिकित्सा विज्ञान को भी चौंका देते हैं. यानि वर्तमान में आधुनिक चिकित्सा पद्धति के बहुत से आयाम तो ऋषि चरक द्वारा 400वीं सदी में ही तय कर लिए गए थे.

रामलखन गौतम-स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं   आज़ादी का उत्सव आप सभी देशवासियों के जीवन में मंग

तो गर्व से कहिये आप भारतीय हैं, क्योंकि वैश्विक चिकित्सा पद्धति में एक बड़ा योगदान भारत की ओर से जाता है.

15. भारत ने ही गणित को शून्य दिया

शून्य या सिफर या जीरो, इसके अविष्कार का श्रेय भी भारत को ही जाता है. पांचवी सदी के मध्य में भारतीय गणितज्ञ आर्यभट्ट के द्वारा शून्य का अविष्कार किया गया था. भले ही वैश्विक इतिहास इस तथ्य को नकारता आया हो, किन्तु शून्य पांचवी सदी के बाद ही चलन में आया. साथ ही आर्यभट्ट ने पाई की गणना भी की.

रामलखन गौतम-स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं   आज़ादी का उत्सव आप सभी देशवासियों के जीवन में मंग

उनके कार्य “आर्या-सिद्धांत” ऐसे अनेक तथ्यों से परिपूर्ण हैं, जो आज के गणित और भौतिक विज्ञान के लिए भी पहेली हैं.

रामलखन गौतम-स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं   आज़ादी का उत्सव आप सभी देशवासियों के जीवन में मंग

तो गर्व कीजिये अपने भारतीय होने पर क्योंकि अगर जीरो नहीं होता तो संसार आगे बढ़ने की कल्पना भी नहीं कर पाता.

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16. साबरमती का संत – महात्मा गांधी

क्या आपको पता है कि विश्व के बहुत से देश भारत को केवल महात्मा गांधी के नाम से जानते हैं? वास्तव में हमारे राष्ट्रपिता मोहनदास करमचंद गांधी एक मिसाल हैं हम सभी भारतीयों के लिए...एक सफलतम वकील, कुशल वक्ता और अच्छे-खासे परिवार से संबंधित होने के बावजूद भी एक संत की भांति जीवन बसर कर देने वाले बापू हमारे देश की सबसे बड़ी पहचान हैं.

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उन्होंने अपने बनाए वस्त्र पहने, स्वयं का उगाया और बनाया भोजन किया, सुख-सुविधाओं का त्याग किया और बिना हिंसा के स्वाधीनता हमारी झोली में डाल देने में सबसे बड़ी भूमिका निभाई. सादा जीवा-उच्च विचार के सच्चे समर्थक बापू आज भी करोड़ों देशवासियों के लिए पूजनीय हैं.

तो गर्व कीजिये अपने भारतीय होने पर, क्योंकि आप उसी देश के निवासी हैं..जहां कभी राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने बेहद शांति से अंग्रेजों को बाहर का रास्ता दिखा दिया था.

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इन कुछ तथ्यों से अलग भी हजारों कारण हैं हमारे पास अपनी भारतीयता को लेकर गर्व करने के. हम चाँद तक चले गए, मंगल का भी सफ़र एक बार में तय कर लिया. यकीन मानिये हम भारतीय सब कुछ कर सकते हैं, हम विश्व की सबसे बड़ी उभरती ताकत होकर भी अपने पाँव यदि जमीन पर रख कर चलते हैं, तो उसके पीछे छिपे हैं हमारे संस्कार. जो हमें हमारे पुरखों ने विरासत में दिए हैं...तो आइये इस स्वतंत्रता दिवस सम्मान करें अपनी संस्कृति, इतिहास और प्राचीनतम मूल्यों का और प्रगतिपरक छोटे छोटे कदमों के साथ बढ़ जाये आकाश नापने की ओर....!!

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गंगा नदी - संसार के समस्त पदार्थों-कार्यों के प्रति क्षण का स्वरूप उनमें होने वाले शक्ति और पदार्थों के अन्तः और वाह्य प्रवाह का अन्तर है

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केन्द्रस्थ : Catching hold of Nucleus : MMITGM : (129) :सब ओर से जैसे भजना को तैसे भजना, समस्त क्रियाओं के तदनुरूप प्रतिक्रियों का होना, पाप...
गंगा नदी - राग, भय और क्रोध से मुक्ति तथा ईश्वर सत्ता को मानकर नदियों के हित को सर्वोपरि रखना आवश्यक है

गंगा नदी - राग, भय और क्रोध से मुक्ति तथा ईश्वर सत्ता को मानकर नदियों के हित को सर्वोपरि रखना आवश्यक है

केन्द्र्स्थ : Catching hold of Nucleus : MMITGM : (128 ) :राग, किसी चीज से बेतहाशा लगाव शक्तिक्षय कारक है. भय, शक्ति-तरंगों का एकाएक भीतर प्...
गंगा नदी - गंगा नदी के अत्याधिक दोहन और शोषण से उसके बैक्टेरियोफास का विनष्ट होना ही शरीर के विनष्टीकरण का कारण है

गंगा नदी - गंगा नदी के अत्याधिक दोहन और शोषण से उसके बैक्टेरियोफास का विनष्ट होना ही शरीर के विनष्टीकरण का कारण है

केन्द्र्स्थ : Catching hold of Nucleus : MMITGM : (127) :ब्रह्म-शरीर, ब्रह्माड से इसके भीतर के अवस्थित अनन्त शरीरे आपस में जुड़े हुए हैं. हमा...
गंगा नदी - कहीं पृथ्वी से लुप्त हो रहे प्राचीन योग की पुनर्स्थापना का एक प्रयास तो नहीं है कोरोना वायरस?

गंगा नदी - कहीं पृथ्वी से लुप्त हो रहे प्राचीन योग की पुनर्स्थापना का एक प्रयास तो नहीं है कोरोना वायरस?

सदियों से पृथ्वी लोक से लुप्त प्राय: हो रहे पुरातात्विक-योग की पुनर्स्थापना हेतु आया है कोरोना वायरस? हे भोलेनाथ ! मैं हूँ कौन? मेरे साथ हैं...
गंगा नदी - गंगा किनारे के शहरों में कोरोना संक्रमण का न्यूनतम होना गंगा जल में निहित बैक्टीरियोफ़ॉस है

गंगा नदी - गंगा किनारे के शहरों में कोरोना संक्रमण का न्यूनतम होना गंगा जल में निहित बैक्टीरियोफ़ॉस है

केन्द्रस्थ : Catching hold of Nucleus : MMITGM : (122) गंगा किनारे के शहरों में कोरोना वायरस के संक्रमण का न्यूनतम होना गंगा की शक्ति का पटा...
गंगा नदी - हिमालय जल-वायु का रक्षक, नियंत्रणकर्ता एवं संचालक है

गंगा नदी - हिमालय जल-वायु का रक्षक, नियंत्रणकर्ता एवं संचालक है

केन्द्रस्थ : Catching hold of Nucleus : MMITGM : (46) : हिमालयन-शिवलिंग के बहु स्वरूपिय जलधारी, भूतलीय बहुमूल्य खनिजों के खजानों में अवस्थ...
गंगा नदी - प्रकृति की प्रत्येक धरोहर ईश्वर समान है, उनका संरक्षण आवश्यक है

गंगा नदी - प्रकृति की प्रत्येक धरोहर ईश्वर समान है, उनका संरक्षण आवश्यक है

केन्द्रस्थ : Catching hold of Nucleus : MMITGM : (44) : हे, पूर्णशांत, आनंदानंद में समस्त ऑर्बिटल के इलेक्ट्रॉन को कपकपाते अंतकरण में स्थ...
गंगा नदी - हिमालय का संरक्षित नहीं होना से गंगा सहित अन्य नदियों के संरक्षण पर भी खतरा है

गंगा नदी - हिमालय का संरक्षित नहीं होना से गंगा सहित अन्य नदियों के संरक्षण पर भी खतरा है

केन्द्रस्थ : Catching-hold of Nucleus : MMITGM : (43) :आप की पूजा क्यों, भोलेनाथ? क्या आप अन्नदाता, ज्ञानदाता-शक्तिदाता हैं? यदि हैं, तो कैस...
गंगा नदी - आवश्यक है इन गंगा आरोपों की जांच होना

गंगा नदी - आवश्यक है इन गंगा आरोपों की जांच होना

मातृ सदन (हरिद्वार) के गंगा तपस्वी श्री निगमानंद को अस्पताल में ज़हर देकर मारा गया। पर्यावरण इंजीनियर स्वामी श्री ज्ञानस्वरूप सानंद (सन्यास प...
गंगा नदी - पर्वतों की संतुलित अवस्था शिवत्व का परिचायक है (MMITGM : 41 व 42)

गंगा नदी - पर्वतों की संतुलित अवस्था शिवत्व का परिचायक है (MMITGM : 41 व 42)

केन्द्रस्थ : Catching hold of Nucleus : MMITGM : (41) ब्रह्म-मुख, पदार्थिय-शक्ति-प्रवाह-मार्ग वातावरण है। यही, ब्रह्म-रूप-धारी पंच-दिशाओं की...
गंगा नदी -  गंगा चुनौती की अनदेखी अनुचित

गंगा नदी - गंगा चुनौती की अनदेखी अनुचित

गंगा की अविरलता-निर्मलता के समक्ष हम नित नई चुनौतियां पेश करने में लगे हैं। अविरलता-निर्मलता के नाम पर खुद को धोखा देने में लगे हैं। घाट विक...
गंगा नदी - गंगा व हिमालय : पर्वत के रूप में हिमालय वातावरण का प्रतिपालक है

गंगा नदी - गंगा व हिमालय : पर्वत के रूप में हिमालय वातावरण का प्रतिपालक है

MMITGM : (41) : ब्रह्म-मुख, पदार्थिय, शक्तिपूर्ण, प्रवाह-मार्ग वातावरण है. यही ब्रह्म-रूपधारी, पंच-दिशाओं की, पंचमहाभूतों की प्रवाह-शक्ति का...
गंगा संरक्षण आवश्यक, फिर गंगा बेसिन की सहायकों, जलाशयों, भूगर्भीय जल स्त्रोतों की अनदेखी क्यों?

गंगा संरक्षण आवश्यक, फिर गंगा बेसिन की सहायकों, जलाशयों, भूगर्भीय जल स्त्रोतों की अनदेखी क्यों?

भारत की आधी से अधिक जनसंख्या का पालन पोषण एक मां के समान करती है गंगा. प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष..हर देशवासी कहीं न कहीं इसी गंगत्त्व से जु...
गंगा नदी - हिमालय और गंगा जैसे प्राकृतिक संसाधनों का महत्त्व समझें (MMITGM : 39 व 40)

गंगा नदी - हिमालय और गंगा जैसे प्राकृतिक संसाधनों का महत्त्व समझें (MMITGM : 39 व 40)

MMITGM : (39) हे प्रचंड-आवेगों की विभिन्नता के शक्ति-तरंगों को अपने हृदयस्थ करने वाले हिमालयन-शिवलिंगाकार भोलेनाथ! आपने आकाश-मार्ग, पाताल-मा...
गंगा नदी - प्राकृतिक संपदा के संरक्षण के लिए हिमालय का संरक्षण होना आवश्यक है (MMITGM : 36 व 37)

गंगा नदी - प्राकृतिक संपदा के संरक्षण के लिए हिमालय का संरक्षण होना आवश्यक है (MMITGM : 36 व 37)

MMITGM : (36)हिमालयन-शिवलिंग के बदलते स्वरूप से, इसकी न्यून होते शक्ति-संतुलन से, तीव्र होता विश्व की आर्थिक सम्पदा विघटन और प्रचंड होती विश...
गंगा नदी - गंगा नदी संरक्षण का दससूत्रीय कार्यक्रम

गंगा नदी - गंगा नदी संरक्षण का दससूत्रीय कार्यक्रम

हिमालय तीन प्रमुख भारतीय नदियों का स्रोत है, यानि सिंधु, गंगा और ब्रह्मपुत्र. लगभग 2,525 किलोमीटर (किमी) तक बहने वाली गंगा भारत की सबसे लंबी...
गंगा नदी - गंगा और मानव-शरीर में जीवन्त समरूपता, गंगा और मानव-शरीर पर स्थान और समय के प्रभाव में समरूपता : अध्याय-3 (3.7)

गंगा नदी - गंगा और मानव-शरीर में जीवन्त समरूपता, गंगा और मानव-शरीर पर स्थान और समय के प्रभाव में समरूपता : अध्याय-3 (3.7)

जिस तरह विभिन्न क्षेत्रों, प्रांतों व देशों के लोग, विभिन्न शारीरिक एवं चारित्रिक गुणों के होते हैं, उसी तरह विभिन्न क्षेत्रों एवं देशों की ...
गंगा नदी - हिमालय पृथ्वी के वातावरण और जलवायु को निर्धारित करता है, यह वातावरण का कंट्रोलिंग पॉवर हाउस है. MMITGM : (34 व 35)

गंगा नदी - हिमालय पृथ्वी के वातावरण और जलवायु को निर्धारित करता है, यह वातावरण का कंट्रोलिंग पॉवर हाउस है. MMITGM : (34 व 35)

केन्द्रस्थ : Catching hold of Nucleus : MMITGM : (34) हिमालयन शिवलिंग भारत सहित समस्त पृथ्वी के वातावरण और जलवायु के पर्वतीय पावर मोनीटरिंग ...
गंगा नदी - एनजीसी की बैठक में लिया गया निर्णय – गंगा की सहायक नदियाँ भी की जाएंगी प्रदूषण मुक्त

गंगा नदी - एनजीसी की बैठक में लिया गया निर्णय – गंगा की सहायक नदियाँ भी की जाएंगी प्रदूषण मुक्त

नेशनल गंगा काउंसिल की प्रथम बैठक में प्रधानमंत्री माननीय मोदी ने कहा कि जिस प्रकार गंगा नदी को प्रदूषण मुक्त करने के प्रयास किए जा रहें हैं,...
गंगा नदी - गंगा और मानव-शरीर पर समय एवं स्थान के प्रभाव में समानता, अध्याय-3

गंगा नदी - गंगा और मानव-शरीर पर समय एवं स्थान के प्रभाव में समानता, अध्याय-3

बरसात के बाद गंगा का जल-स्तर, मिट्टी का आयतन, ऑक्सीजन की मात्रा, ऊर्जा तथा शरीर का आकार घटने लगता है. ऐसी स्थिति में भूमिगत जल जो बरसात में ...
गंगा नदी - पहाड़, शिव का जीवन्त-शरीर है (MMITGM : (31 व 32)

गंगा नदी - पहाड़, शिव का जीवन्त-शरीर है (MMITGM : (31 व 32)

कण-कण में, हर एक एटम में, एलेक्ट्रोन और प्रोटोन के बराबरी रूप से विराजमान न्यूट्रॉन, ब्रह्मांड को आच्छादित करने वाले, भगवान शिव से-हे भोलेना...
गंगा नदी - पहाड़ों और नदियों के संबंध को समझने के लिए जानना होगा पौराणिक-धार्मिक धाराओं को : MMITGM : (29 व 30)

गंगा नदी - पहाड़ों और नदियों के संबंध को समझने के लिए जानना होगा पौराणिक-धार्मिक धाराओं को : MMITGM : (29 व 30)

MMITGM : (29), पहाड़ शिवलिंग हैं - भगवान शिव से-हे भोलेनाथ! पहाड़ रूप महान स्थिर और केन्द्रस्थ, आप का शिवलिंग जड़ पाताल में कहाँ है पता नहीं. च...
गंगा नदी - नदियों का चारित्रिक गुण समझना होगा, गंगत्त्व में ही छिपा है हिंदुत्व (MMITGM : 27 व 28)

गंगा नदी - नदियों का चारित्रिक गुण समझना होगा, गंगत्त्व में ही छिपा है हिंदुत्व (MMITGM : 27 व 28)

MMITGM : (27) भगवान शिव से-हे भोलेनाथ! विश्व भर में पर्वतों के विभिन्न स्वरूपों को धारण करने वाले आप हैं. जैसे मानव शरीर में हृदय रक्त मस्ति...
गंगा नदी - गंगा और मानव-शरीर में जीवन्त समरूपता : MMITGM (31)

गंगा नदी - गंगा और मानव-शरीर में जीवन्त समरूपता : MMITGM (31)

मानव युवा-अवस्था में प्रदूषित भोजन, जल एवं वायु को बहुत हद तक अपने शरीर में व्यवस्थित करने का सामर्थ्य रखता है. उसी तरह गंगा की शक्ति बरसात ...
गंगा नदी - आणविक सिद्धांत का प्रदिपादन : MMITGM : (24 व 25)

गंगा नदी - आणविक सिद्धांत का प्रदिपादन : MMITGM : (24 व 25)

भगवान शिव से- हे भोलेनाथ! आज भगवान श्रीकृष्ण के कथन, "अच्छेद्योअ्यमदाह्येअ्यमक्लेद्योअ्शोष्य एव च। नित्यः सर्वगतः स्थाणुरचलोअ्यं सनातनः"।। (...
गंगा नदी – शक्ति तरंगों का सिद्धांत, MMITGM: (22 & 23)

गंगा नदी – शक्ति तरंगों का सिद्धांत, MMITGM: (22 & 23)

MMITGM: 22 भगवान शिव से - हे भोलेनाथ! भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं (गीता-2.22) जिस प्रकार मनुष्य पुराने वस्त्रों को त्याग कर नये वस्त्र धारण करत...
गंगा नदी - आत्मा और परमात्मा के खेल को समझना आवश्यक है : MMITGM : (18 & 19)

गंगा नदी - आत्मा और परमात्मा के खेल को समझना आवश्यक है : MMITGM : (18 & 19)

MMITGM : (18) भगवान शिव से - हे भालेनाथ! आत्मा न तो किसी को मारती है और न ही किसी के द्वारा मारी जाती है.. (भगवान श्रीकृष्णा कहते हैं गीता-2...
गंगा नदी : जानें इग्नोरेंस ऑफ ट्रुथ के सिद्धांत को : MMITGM : (16 and 17)

गंगा नदी : जानें इग्नोरेंस ऑफ ट्रुथ के सिद्धांत को : MMITGM : (16 and 17)

शिवसे-हे भोलेनाथ! भगवान श्रीकृष्ण की उक्ति है (गीता-2.17) कि “जो सारे शरीर में व्यापत है, उसे ही तुम अविनाशी जान”, इसका अर्थ नहीं लग रहा है ...

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