अर्थ डे के अवसर पर आज रेडियो आजतक के "अर्थ शास्त्र" कार्यक्रम में वरिष्ठ उप संपादक और पर्यावरणविद् अमन गुप्ता से आज नदी पुत्र रमनकांत त्यागी ने देश की नदियों की दशा और दिशा पर सार्थक चर्चा की। आज हमारी नदियां मर रही हैं, नदियों पर न केवल प्रदूषण बल्कि इसके रास्ते में बदलाव, खत्म होती बायोडायवर्सिटी, बालू खनन और कैचमेंट एरिया के सिकुड़ने का भी असर पड़ा है। हज़ारों करोड़ रुपये ख़र्च करके भी गंगा,यमुना, ब्रह्मपुत्र जैसी बड़ी नदियां साफ़ नहीं हो पा रही हैं, तो इन्हें साफ़ किया कैसे जाए? विकसित देशों की तरह हमारे पास उतने संसाधन नहीं है तो क्या ये संभव हो पाएगा? ऐसे ही सवालों और नदियों की समस्याओं पर नीर फ़ाउंडेशन के फ़ाउंडर 'नदीपुत्र' रमन त्यागी से चर्चा की गई।
इस दौरान रमनकांत त्यागी जी ने देश की बड़ी नदियों और छोटी/बरसाती नदियों के बारे में विस्तृत बातचीत की। उन्होंने बताया कि आज देश की छोटी नदियों यानि बरसाती नदियों की हालत बेहद खराब है। उदाहरण के लिए उन्होंने दिल्ली की छोटी नहरों जैसे नजफ़गढ़ नहर का उदाहरण दिया जिसे आज नाले के नाम से दिल्ली वासी जानते हैं। आज यह छोटी नदियां इन्डस्ट्रीयल वेस्ट और सीवरेज को ढो रही हैं और इनके हालात बेहद खराब हैं। जबकि इन छोटी नदियों के बिना बड़ी नदियों का जीवन भी खतरे में पड़ जाएगा।
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