पानी का संकट बड़ा अवश्य है लेकिन अगर हर कोई ठान ले तो - हम इससे पार पा सकते हैं। सरकार ने "कैच द रेन" अभियान से जल संरक्षण, संग्रहण और संवर्द्धन के प्रति अपनी गंभीरता स्पष्ट की है। ऐसे में अब बारी समाज की है।
पानी हमारे दैनिक दिनचर्या का अभिन्न अंग है। दांत साफ करने, नहाने, कपड़े साफ करने, शौचालय में, घर की साफ सफाई में, वाहनों की सफाई में, खाना बनाने, बर्तन साफ करने, फसलों की सिंचाई करने, उद्योगों में, पशुओं को नहलाने व उन्हें पानी पिलाने आदि में इसका उपयोग किया जाता है। भारत में प्रति व्यक्ति पानी की उपलब्धता 140 लीटर है, जबकि विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार एक दिन में प्रति व्यक्ति को 200 लीटर पानी उपलब्ध होना चाहिए। देश के 85-90 प्रतिशत गांव भूजल से अपनी आपूर्ति करते हैं। पानी का संरक्षण व उसकी बचत, दोनों स्तरों पर जल संकट के स्थाई समाधान हेतु कार्य करने की आवश्यकता है। पानी के संरक्षण हेतु जहां तालाबों का पुनर्जीवित होना आवश्यक है वहीं अति आवश्यक है कि वर्षा की प्रत्येक बूंद का हम संचयन करें।
भारत यूं तो गांवों का देश है लेकिन वर्तमान में शहर भी तेजी से अपने पैर पसार रहे हैं। इसीलिए पानी बचाने का कार्य ग्रामीण व शहरी दोनों में रहने वाली आबादी को अपने-अपने ढंग से करना होगा। शहरों में जब चार से पांच सदस्यों का एक परिवार प्रतिदिन 200 से 300 लीटर पानी की बचत करेगा तो तय है कि देश में अरबों लीटर पानी एक दिन में बचेगा। इसके लिए हमें बस अपने आप को व्यवस्थित करना पड़ेगा।
जैसे कि अगर कोई व्यक्ति फव्वारे से स्नान करता है अगर वह बाल्टी में पानी लेकर स्नान करे तो करीब 100 लीटर पानी बचा सकता है। शौचालय में अगरफ्लश के स्थान पर छोटी बाल्टी से पानी का इस्तेमाल किया जाए तो एक बार में करीब 10 लीटर पानी की बचत हो सकती है। खुले नल के विपरीत बाल्टी में पानी लेकर कपड़े धोने से करीब 100 लीटर पानी की बचत होगी। पाइप द्वारा कार या अन्य वाहन की धुलाई के बदले बाल्टी में पानी लेकर धुलाई करने से करीब 80 लीटर पानी की बचत होगी, वहीं फर्श आदि की धुलाई पाइप के बदले बाल्टी में पानी लेकर करने से करीब 80 लीटर पानी की बचत होगी। इसी प्रकार नल खोलकर दांत साफ करने व सेविंग करने के बदले अगर मग में पानी लेकर ऐसा किया जाए तो क्रमश: 10-10 लीटर पानी की बचत होगी।
गांवों में पानी बचाने के लिए कुछ अन्य कार्य भी करने होंगे। जैसे सिंचाई में ड्रिप और स्प्रिंकलरपद्वति अपनाकर, कम पानी चाहने वाली फसलें उगाकर तथा पशुओं को पाइप के बदले बाल्टी से नहलाकर प्रत्येक किसान परिवार हजारों लीटर पानी की बचत कर सकता है।
परिवार में जहां पानी की बचत करनी आवश्यक है वहीं पानी का पुनः इस्तेमाल करना भी हमें सीखना व करना होगा। जैसे अगर घर में आरओ (रिवर्स आस्मोसिस) लगा है तो उसके गंदे पानी को घर में लगी फुलवारी, घर साफ करने, शौचालय व वाहन धोने में इस्तेमाल किया जा सकता है। इसी प्रकार अगर घर में एसी (एयर कंडीशनर) लगा है तो उससे निकलने वाले पानी का इस्तेमाल भी घर के विभिन्न कार्यों में किया जा सकता है।
इसके अतिरिक्त हमें न दिखने वाला पानी भी बचाना सीखना होगा, अर्थात वर्चुअल वॉटर। यह वह पानी है जोकि हम वस्तुओं के रूप में इस्तेमाल करते हैं, जैसे कि हम जितनी भी वस्तुएं इस्तेमाल करते हैं, उन सभी को बनाने में कुछ लीटर से लेकर हजारों-लाखों लीटर पानी इस्तेमाल हो चुका होता है। अर्थात हम जिन किताबों को पढ़ते हैं व जिन रजिस्टरों पर कार्य करते हैं सभी में बहुत पानी खर्च होता है। इस ओर भी हमें जागरूक होना होगा।