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संजय कुमार जी रोहतास के नोखा नगर के निवासी हैं, यहीं से उनका राजनीतिक सफ़र भी प्रारंभ हुआ. अपने विद्यार्थी जीवन से ही अच्छी नेतृत्त्व क्षमता रखने वाले संजय जी आठवीं कक्षा में थे, जब उन्हें स्कूल हेड के रूप में चुना गया. छात्र जीवन से ही समाज के लिए कुछ बेहतर करने की विचारधारा उनके मन में थी. वर्ष 1994 में माननीय मुख्यमंत्री (बिहार) नीतीश कुमार जी ने समता पार्टी की स्थापना की थी, जो प्रमुख रूप से सामाजिक अधिकारों की समानता के उद्देश्य से बनी पार्टी थी. संजय जी इस पार्टी के सिद्धांतों से बेहद प्रभावित हुए और अंततः समता पार्टी के सिद्धांत एवं सामाजिक उत्थान के प्रति उनका झुकाव ही राजनीति में उनकी सक्रिय भूमिका के प्रमुख कारण बने. उन्होंने वर्ष 1995 से अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत समता पार्टी के साथ की.
लगभग 14 वर्षों से जदयू से जुड़े संजय जी वर्ष 2006 में जनता दल यूनाइटेड के अंतर्गत एक आम कार्यकर्ता के तौर पर शामिल हुए, परन्तु उनकी काबिलियत के चलते उन्हें जल्द ही राष्ट्रीय सचिव के पद की जिम्मेदारी दे दी गयी, साथ ही दिल्ली, झारखण्ड, पंजाब, महाराष्ट्र जैसे राज्यों में वे जदयू की ओर से प्रभारी भी रहे. वर्ष 2011 में पार्टी की ओर से संजय जी को राष्ट्रीय महासचिव का पद सौंपा गया, जिस पर रहते हुए उन्होंने जदयू की नीतियों और सिद्धांतों को ज़मीनी स्तर पर क्रियान्वित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई. तीन वर्ष पूर्व, यानि 2016 में उनकी कार्यकुशलता और प्रभावशाली विचारधारा के चलते नीतीश कुमार जी ने जदयू युवा विंग की कमान उनके हाथों में रख दी, तभी से युवा जदयू राष्ट्रीय अध्यक्ष की भूमिका में वें अनवरत क्रियाशील हैं तथा युवाओं को विकास के तमाम अवसर प्रदान कर आगे बढ़ रहे हैं.
जदयू से जुड़ने के मूल में छिपे कारणों के बारे में संजय जी का मानना है कि जनता दल यूनाइटेड देश की पहली ऐसी पार्टी है, जो परिवारवाद या वंशवाद को बढ़ावा नहीं देती है. उनके कथनानुसार माननीय नीतीश जी राजनीति की स्वच्छ एवं विकासपरख धारा को प्रमुखता देते हैं, समाज में समानता और भेदभाव, छुआछूत जैसे सामाजिक कोढ़ से दूरी बनाकर सर्वहित की बात रखते हैं. राजनीति में युवाओं की सक्रिय भूमिका को संजय जी सर्वाधिक महत्वपूर्ण मानते हैं, उनका कहना है कि केवल युवाओं में ही वह शक्ति है, जो एक प्रगतिशील देश का निर्माण कर सकती है और यदि युवा दृढ़ संकल्प के साथ, ऊर्जावान होकर आगे बढे तो देश की राजनीति की एक सकारात्मक छवि निर्मित होगी. उनका स्पष्ट रूप से मानना है कि आज भारत में युवा शक्ति की कोई कमी नहीं है, उसे बस एक सही और विकसित दिशा दिए जाने की आवश्यकता है, और जदयू में युवाओं को सबसे अधिक आगे बढ़ने के मौके दिए जाते हैं.
समाज में पनप रही बुराइयों के खिलाफ संजय जी आगे बढ़कर अभियान चलाते रहते हैं. शराबबंदी, दहेज़बंदी, बाल-विवाह जैसी समाजिक कुरीतियों के खिलाफ वे अक्सर अभियान चलाते रहते हैं, उनका मानना है कि शराब एक ऐसे रावण के समान है, जो युवाओं के विकास का मार्ग अवरुद्ध कर देता है तथा महिलाओं के मान-सम्मान को भी प्रभावित करता है, साथ ही इसके कारण समाज की नींव कही जाने वाली इकाई अथार्त परिवार भी टूट जाते हैं. इसके अतिरिक्त दहेज़ प्रथा और बाल-विवाह जैसी बुराइयों के खिलाफ भी संजय जी आन्दोलन चलाते रहते हैं, जिससे बच्चियों का भविष्य सुरक्षित रह सके.
जदयू युवा विंग के विस्तार एवं संगठन में संजय जी की भूमिका अग्रणी रही है. अपनी स्पष्ट एवं कार्यकुशल शैली के चलते युवा कार्यकर्ताओं के मध्य उनकी लोकप्रियता सर्वाधिक है. राष्ट्रीय अध्यक्ष का पदभार सँभालने से पूर्व भी वे संगठन के लिए कार्यरत रहे हैं. वर्ष 2007 में दिल्ली प्रदेश के अंतर्गत एफडीआई, डीजल एवं एलपीजी की मूल्यवृद्धि के खिलाफ शरद यादव जी की अध्यक्षता में उन्होंने अन्य कार्यकर्ताओं के सहयोग से जंतर-मंतर पर धरना प्रदर्शन किया तथा गिरफ्तारी भी दी. बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिलवाने में वर्ष 2013 में हुई “अधिकार रैली” में संजय जी ने सक्रिय भूमिका का निर्वहन किया, साथ ही शताब्दी उत्सव में भी उन्होंने सहयोग दिया. इसके अतिरिक्त राष्ट्रीय अध्यक्ष का पदभार संभालने के उपरांत से ही वे सामाजिक बुराइयों का अंत कर स्वस्थ समाज की संरचना के प्रति गंभीरता से कार्यरत हैं. इसी कड़ी में वें युवाओं को जागरूक करने हेतु उत्तर प्रदेश में “शराब छोड़ो, दूध पीयो” मुहिम भी चला चुके हैं.